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रणपिंगळ.
सप्रवृत्त.
९३९. नदी. ७,७ यति १ न,न,त,ज,ग,ग. २८८.
न न त ज ग ग थी, छेद हये नदी छे. १ शब्दकल्पद्रुम प्रमाणे यति आपी छे. ९४८ वसन्ततिलका, उद्धर्षिणी
सिंहोद्धता, सिंहोन्नता, मधुमाधवी, तत्का, त,भ,ज,ज,ग,ग. २९३३ वसंततिलक, वसंततिल,
शोभावति, चेतोहिता.) - थाशे वसंततिलका त मजाज गागे.
१ पिंगलाचार्यना मत प्रमाणे. २ सैतव मुनि. ३ काश्यप मुनि. ४राम अने गोमानसना मत प्रमाणे, वळी वृत्तरत्नाकरना टिप्पणमां नागे ए नाम आप्यानो पाठ जणाव्यो छे. नागराज पिंगळ, ६ छंदोलता, ७ गणप्रस्तारप्रकाश, ८ रामकीर्ति पंडिते चेतोहिता नाम आप्यु छे. श्रीकृष्ण कविये, मंदारमरंदचंपूमां वृत्तबिंदुना पेहेला भागमां पादांते अथवा ७, ७ उपर यति कहो छे. छंदःशास्त्रमा पादान्ते यति कही छे. पिंगळादर्शम वसंततिलका, सिंहोन्नता, उद्धर्षिणी, अने मधुमाधवी ए नामो आपी तेमां ८, ६ यति कही छे; तेज प्रमाणे शब्दकल्पद्रुममा पण यति कही छे. प्राकृतपिंगळसूत्रमा तथा वाणीभूषणमां वसंततिलका, अने सिंहोद्धता ए बन्ने नामो आपी तेमा यति कही नथी. राग यमनकल्याप्ला, ताल लक्ष्मी, मात्रा २१, मध्यकार
(संगीतानुसार छंदोमंजरी.)
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