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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२२ रणपिंगळ. समवृत्त छंदःप्रभाकर तथा शब्दकल्पद्रुममा नन्दिनी नाम विशेष छे पण अंक ८२६ मां ते जूतुं वृत्त छे. वाग्वल्लभमां आ मापर्नु क्षमा वृत्त मूकेल छे पण ते अंक ८४४ मां जूदुं छे. कलहंस, सिंहनाद, क्षमा, अने कुटजा, ए नामो वागवल्लभ पृष्ट ६१ मे छे तेमां यति कही नथी. प्राकृतपिंगळसूत्र पृष्ट १६३ मे, छंदोमंजरी पृष्ट ११५ मे, छंदोलता, वृत्तदर्पण इत्यादिमां लखेछे के, कलहंसनुं बीजुं नाम सिंहनाद छे तेना मापमां आ गणो छे, पण यति कही नथी. शब्दकल्पद्रुममां कलहंस अने सिंहनाद ए बे नामो आपी तेमा यति कही नथी. पिंगळादर्शना कतीए कलहंस नाम आपी ६,७ यति कही छे (पृष्ट ७६), पण तेनुं प्रमाण शिष्ट ग्रंथोमां मळी आवतुं नथी; एटले ग्राह्य नथी. ८२४ नदिनी. ५,८ यति. न,ज,स,स,ग. १७७६ रच नदिनी, तु न ज सास ग पांचे. १ पिंगळादर्श प्रमाणे यति लखी छे. ८२५ चंडी. न,न,स,स,ग. १७९२ रच कवि न न स स गा थको चंडी. ८२६ नन्दिनी सम,त,स,ग. १७९६ समतासंगे नन्दिनी कवि रचेछे. १ अगियार वर्णमां नन्दिनी अंक ६१० मे छे तेमां स, ज, स, ल, ग, ए.माप छे अने ५.६ यति छे. ८२७ उपस्थित. ६,७ यति. ज,स,त,स,ग. १८२२ उपस्थित विषे, आणो ज स तसागा. छंदोमंजरी अने शब्दकल्पद्रुममा आ गणोथी आ वृत्त छे पण यति कही नथी. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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