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रणपिंगळ.
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२६ चूडाणापंचागाहा (आर्या) कुंडलिनी. मात्रा १०३:
(६+४+२, ६+२+। =२३) पृ. १८९ पंचा
(६+४+२, ६+२+s) =२३ | अ. २३
(४+४+४+४+४+ज के विप्र+४+२=३०) पृ. १०० नाहा ४+४+४+४+४+ लघु +४+२ =२७) अं. ४५
पंचा एकज आणी, ते पर गाहा धार, चूडाणाकुंडलिनी, एवी छे सुखकार; एवी छे सुखकारी, पंचागाहा तणे भले नामे; कविजन कविता करवा, जोडे छे आपने कामे. २०४
चूडाणापंचागाहा ( आर्या) कुंडलिनी प्रथम रुप. पंचा. 15ss| ऽऽ | sऽऽऽ जज
SSS SS S/5551 S1 Si गाहाsssssssss||si ss | s| जयुक्त: | ssssssssss || 5|
· ४९ गुरु+५ लघु-६४ वर्णनी मात्रा १०३. चूडाणा पंचा गाहा (आर्या) कुंडलिनी अंत्य रुप. पंच | | II | || | || | |
चा.um | Im| ||si गाहा.mmmmm ISims जयुक्त | mmm In | ims
५ गुरु+९३ लघु-९८ वर्णनी मात्रा १०३ उपरना बिम्ब उपरथी जणाय छे के प्रथम रूपमा ४९ गुरु अने पांच लघु आवेछे, तेमाथी अकेको गुरु घटाडी बबे लघु वधारतां तेना कुल ४९ भेद थाय छे. अने छेवटनुं रूप ५ गुरु अने ९३ लघुनुं बनेछे.
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