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विषमजाति
मात्रामैळ. ३. सरखं आवे त्यमज, तमे पछी रोला रचजो; ४. तेमां कल चोवीश, नियमसर रचवा मचनो ५. आदि रचेला बोल, उचारो अन्ते फरीने; ६. रचनो कुंडलिनीन, प्रथममा आर्या धरीने.. . २००
छंदोलतामा कुंडलिनी नाम कुंडलिया- आप्यु छे अने तेनुं बीजूं नाम. सारा छे, एम का छे ते ग्राह्य नी.
आर्या प्रकरणमा मुख्य पांच भेद गण्या छे; तेमांथी आर्या उपर रोलाजाति आणवाथी उपर बताव्या प्रमाणे आर्या कुंडलिनी थइ. एज रीते नीचेना कोष्टकमां बतान्या प्रमाणे बधी मळीने पांच प्रकारनी कुंडलिनी थायछे:----
आर्या
क्रम.
नाम.
प्रकार.
मात्रा.जातेि. मात्रा, कुल
आर्या कुंडलिनी. | आर्या
५७ | रोला | ९६
-
-
| गीति कुंडलिनी. | गीति ६० | रोला ९६ | १५६
| उपगीति कुंडलिनी. | उपगीति | ५४ | रोला | ९६ | १५० ४ | उद्गीति कुंडलिनी. उद्गीति | ५७ | रोला | ९६ /१५३ | ५ |आर्या गीति कुंडलिनी. आर्यागीति ६४ | रोला | ९६ | १६०
उपरना कोष्टकने अनुसरीने प्रचूर्ण गीति जेटलां प्रकारनी पृष्ट. १२३ मेथी जणावी छे, ते उपर रोला चडाववाथी तेटला भेदनी कुंडलिनी थइ शकेछे.
गणप्रस्तारप्रकाश नामना ग्रंथमां श्रीबाबा रामदासजिये उपर पांच प्रकारना मुख्य भेद जणाव्या छे. तेने बदले सिंहिनी एक नाम वधारीने ते छ प्रकार जणावेछे पण ए मुख्य भेद नथी,
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