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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir همه می ४३ » س रणपिंगळ. wwwwwwwwwwww १७ शार्दूल: सटूल. अहि. ९ ३६ ४२ १८ अहिवरः अहिवर. पवण. १९ व्याघ्रः,व्याल: वग्ध. वर्द्धय. २० बिडाल: विराडउ. धण. २१ श्वा,सुनकः,श्वानः सुणह. आणंद, हर्ष. २ ४४ ४६ २२ उदुबरः,उन्दुरः उन्दुरु,उंदर. अंकुल्ल. १ ४९ ४७ २३ सर्पः साप.. . • ४८ ४८ __ हीराचंद कृत पिंगळादर्शमां अंक चोथे सेन, अने हरिजश पिंगलमां सिचाण नाम छे. चिंतामणी कृत छंदोलतामां अंक १९मे बग्ध नाम छे; अने छंदोमंजरीमा एज अंकमा व्याल नाम छे. साहित्य सुधानिधिना भाग २ जाना अंक १० मामां २२ गुरु अने ४ लघु एम २६ अक्षरथी आरंभीने अकेक गुरु घटाडतां तथा बब्बे लघु वधारतां २ गुरु ने ४४ लघु, एम ४६ अक्षर पर्यतना अनुक्रमे नीचे प्रमाणे २१ भेद आप्या छे: (१) हंस, (२) मोर, (३) पिक, (४) कीर, (५) कलहंस, (६) कपोत, (७) चातृक, (८) चकवा, (९) चकोर, (१०) गरुड, (११) गीध, (१२) राजहंस, (१३) कलकंठ, (१४) चटक, (१५) सेन, (१६) क्रौंच, (१७) लवा, (१८) टिटिभ, (१९) रायमुन, (२०) हारिल, अने (२१) खंजन. चित्रसेन टीकावाळा मागधी पिंगळछंदोग्रंथमा दोहाना २२ भेद नीचे प्रमाणे आपेछे: (१) भवरु, (२) भावरु, (३) सीह, (४) संधाण, (५) अमरठउ, (६) मकडउ, (७) हरु, (८) मुरारी, (९) मयगल, (१०)पउहर,(११)चउराणण, (१२) तिणयण, (१३) संख, (१४) मच्छ (१५) सदूल, (१६) अहिवर, (१७) वरक, (१८) विराउल, (१९) सुनहड, (२०) उंदर, (२१) सप्पह अने (२२) दीस. वळी तेज ग्रंथकार पाठांतरे नीचे प्रमाणे बीजां नामो आपेछे:-- (१) हंसु, (२) वराहु, (३) गयंदु, (४) पहु, (५) पिंगलु, (६) तरलु, (७) तमाल, (८) सायरु, (९) सुंदरु, (१०) मेरु, (११) नरु, (१२) कुंजरु, (१३) हरि, (१४) शुकुलाल, (१५) दमणौ, (१६) मसुऔ, (१७) अहि, (१८) पवणुं, (१९) घj, (२०) वज्जू, (२१) आणंदु, अने(२२) आमुल्लो. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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