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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मात्रामेळ. Vvvvvvvvvvvv ९९ मदनांतक मात्रा २५. तेना अक्षर २० अंते ग. . प्रथम एक चोकलियो. वच्चे गमे तेवा गुरु.. १, ५, ९, १२, १६, २१, २४ मात्राए ताल. थाय कला प्रतिपद पचिश परिपूर्ण मदनांतके, २७०५१. करनो वर्णो सकल वीश ज्यम पद विषे थइ शके 3८५६१ प्रतिपद प्रथम डगण धरी चरमें गुरु आणजो, . २००६२ पछी वचवचमां गमे त्यमगुरु लघु करी जाणजो.११२. १२४२६ * वृत्तरत्नाकरनी नारायणभट्टी टीकामां आ जाति छे. १०० सुगीतिका. १५, १० यति=२५ मात्रा. आयंते लघु. २, ५, ९, १२, १६, १९, २३ मात्राए ताल. सुगीतिकामां आदि लघु कल, चरण चरणे आण, ५७२२८ पचीश कल धर चरण चरणे, प्रभाकर परमाण; ७१८२४ द्वितीय उपर अनुक्रमे जो, ताल त्रणपर चार, ७२५७५ धरेज कविजन चरण चरणे,सात सौ निरधार.११३. १६०५१ ६ छंदःप्रभाकर अने छंदार्णव प्रमाणे. महाभागवत-२६मात्रानी १,९६,४१८वृत्ति थायछे. १०१ शंकर, चावर..१६,१० यति २६मात्रा, तेमां अंते गुरु लघु. ३, ६, १०, १३, १७, २०, २४ मात्राए ताल. कल सकल छव्विश चरण चरणे, छे गुरु लघु छेह,१०६८९3 यति सोळ ने दशमांही आणो, जाति शंकर एह; १०१3८४ चावर कविजन अवर के'छे, छे त्रीजी पर ताल, १०६४८५ त्रण चार चडते ताल कविवर,सात तुं संभाळ. ११४.७८०८० १०२ विष्णुपद. १६, १० यति=२६ मात्रा, तेमां अंते गुरु.. १, ५, ९, १३, १७ २१, २५ मात्राए ताल, सोळ उपर वळी दशे विरति छे, छेलो गुरु धरो, ५८४२. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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