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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३० रणपिंगळ. अंते गुरू लघु एमां, मृगांक जाति जाण; १८४९५ एक उपर पछौँ, चडती, चच्चारे छे ताल, १७७९९ प्रतिपदमाहे एमज, षड तालो संभाळ. ९५. १८२३७ ८४ उपमान. १३,१० यति. १,५,९,१२,१६,२० मात्राए ताल. कल कर कुल तेवीश जख, ने दश पर यति छ, १७०२५ शशि शर नव रवि सोल पोश, पर तालनी गति छे; १६०५९ ए रचना उपमाननी, कथतां ठीक हो, ४८७१ यावा कविवर तणुं अति, पूलं मन लोभे. ९६. ४४६५ छंदःप्रभाकरमा आ जातिमां अंते बे गुरू लाववा कयुं छे. पण तेवा नियमनी आना पछीनी अंक ८५ वाळी द्रढपटा जाति छ, एटले ए मत ग्राह्य नथीं. ८५ द्रढपटा, दटपद. १३,१०यति=२३ मात्रा. तेमां अंते बे गुरु. १,५,९,१४,१८,२२ मात्राए ताल. वीश कुल कल चरणमां, जख दश यति जाणो, ६५३१ प्रतिपद केरा अंतमां, बे गुरु ठोक. आणो ५८३८ प्रतियतिमां पे ले अने, चडती चच्चारे, द्रढपटमांहे ताल तो, कवि षर्ड कुल धारे. ९७. ६४४८ * रूपदीपमा दटपट, गौडपिंगळमां दिढपटि. अने बीजां पिंगळोमां द्रढपदा, त्रिटपद, वगेरे नामो छे. ६६ निश्रेणी. १३, १० यति=२३ मात्रा, प्रति यतिमां अंते गुरु.. १,५,९,१४,१८,२२ मात्राए ताल. त्रेषिश मात्रा थायछे, प्रति पदनी माहे, विरति तेरे प्रथम छे, कीजी दश ज्यांहे; ४२९३ प्रति यतिअंते गुरु करो, बेमां वे धारी, ढपट पेठे ताल ते, निश्रेणी सारी. ९८.. १३ २२६६ ११५. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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