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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मात्रामेळ. wwwwwwwwwww १७ छंदोवृत्तमुक्तावलीमां अंते जगण लाववा कहेछे, माटे तेनु मत स्वीकारवा योग्य नथी. वळी छंदोवृत्तमुक्तावलीमा तो आदि डगंणमां जगण आणवोज “नहि, एवो खास नियम आप्यो छे, अने तेनुं नाम प्रझट्टिका आप्यु छे. वळी “छंदःप्रभाकरमा पद्धटिका, प्रज्वलय के प्रज्वलिया, एवां वीजां नाम आप्यां छे, अने विशेषमा लखेछे-आनाज बमणा मापवाळाने भिखारीदासे लोलावती छंद मान्यो छे. मागधी पिंगळछंदोग्रंथमां प्रझटिका नाम छे. ५० पादाकुलक, पायाकुलक. ४+४+४+४=१६ मात्रा, तेमां अंते ग (चरणमां यमक आवे). १,५,९,१३ मात्राए ताल. चार चरणमां गुरु छेवट छे, ४४४ सोळ कळानो एवो पटाछे ३८१ समूह. पायाकुलक यमकथी शोभे, भू शर नव जख तालज थामे. ६२. १७७ "मात्रासमक" प्रकरणमा लखेला [१]चर्पट, [२]विश्लोक, [३]नवासिका, [४] चित्रा अने [५] उपचित्राना मापमांथी गमे ते चार चरण रचवामां आवे तो तेनुं नाम “पादाकुलक" केहेवायछे, एम वृत्तरत्नाकर नी नारायणभट्टी टीकामां जणाव्युं छे; छंदोत्तमुक्तावलीमा चार चोकलिया तेमां अंते गुरु, एम सोळ मात्रा आवे-एटले अत्य गुरुवाळा अरिल्लने पादाकुलक कयो छे; वागवल्लभ अने छंदःशास्त्रमा आनुं नामः पादाकुलकज छः वृत्तमौक्तिक, छंदः• शास्त्र, घागवल्लभ, अने लखपतजशसिंधुमां गुरुलघुनो नियम नथी, एम · केहेछे, तेमज "छेल्ले गुरु जोइये" एम पण नियम करता नर्थः; पण छंदःशास्त्र (पिंगळ) ना नियम प्रमाणे ज्यां विशेष नियम न होय त्यां पादान्ते गुरु आणवो • एम जणावी गया छे. प्राकृतपिंगळसूत्रमा गुरुलघुनी नियम क्यो नथी, एटले सोळ मात्रा बधा गुरु के बधा लघुनी नहि, पण गुरुलघु मिश्रित लाववी, - एम का छे. वाणीभूषणमा कयुं छे केः• "अक्षर गुरु लघु नियम विरहितं, भुजगराज पिंगल परिभाणितम् भवति सु गुम्फित षोडश कलकं, वाणीभूपण पादाकुलकम्." गणप्रस्तारप्रकाशमां आठ आठ मात्राना प्रति यतिए प्रास मळव्या छे, ' एजें पेहेलं रूप त्रण कर्ण ने एक भगणनुं थायछ अने छल्लं रूप त्रण विप्रने भगणनुं थायछे. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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