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रणपिंगळ.
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अंते एक, सगण ठोंक धरो; . ३६५ भू पर ताल, पछी श्रुति श्रुति, ३१३
पाईक्तनी, गणो शुभ गति. ५१. ३०९ ४२. चोपाइ, चतुष्पदी. ६+४+४(तेमां अंते गुरु होय)+ल
=१५ मात्रा. १, ५, ९, १३ मात्राए ताल. छ पर डगण बे पछी लघु धार, ५८९ तिथि कुल कलमां छेवट हार; ५३४ गुरु लघु. चतुष्पदी चोपाइ भाळ, ३८०
शशि शर नव जख उपर ताल, ५२. ५५५ पागवल्लभमां जयकरी अने चोपाइ एकज लखेछे, १५ मात्रामा अन्ते लवु. नागराजपिंगळमां ६+४+४+ल, ए प्रमाणे छे, पण रूपदीप पिंगळमा ८+७ तेमां अंते ग, ल, छे. गणप्रस्तारप्रकाशमां अन्ते ज, त, र, केस, लाववा केहेछ भने तेनुं छेल्लु रूप सर्व लघुनु आप्युं छे. ४३ वस्तु. ४+४+४+३=१५. १,५,९,१३ मात्राए ताल,
त्रण चोकल पर त्रण कल धरो, एवी पंदर कुल कल करो; ३६५ एक उपर चच्चारे ताल, ३८९
वस्तु जाति विषे संभाळ. ५३. ३९९ भानी अंते "जी" उमेरवाथी राग “सामेरी" थाय, एम "प्राचीन काव्यमाळा"ना रसिकवल्लभादि ग्रंथमां पृष्ठ पेहेले लख्युं छे ४४ गोपाल. १०,५ यति. १,५,९,१३ मात्राए ताल.
दशने पांच उपर, विश्राम, ४५५ एकंदर पंदर, कल आमा एक उपर श्रुति श्रुति, पर ताल, ६०९ ए जाति रूडी, गोपाल. ५४.
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