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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रणपिंगळ. एक बीजे शिव वर्ण खरा, १६९ त्रण चारे दश वर्ण नस्या. ३५. १६७ विप्र (चार लघु), सगण के भगण ए त्रण पैकी जे ठीक जणाय तेवा डगण रची बार मात्रा आणवी+ग. एमां कर्ण एटले बे गुरुनो उगण आवे तोपण अमने हरकत जणाती नथी. छंदोलतामा १०+४ मात्रामां अंते सगण लाववा केहेछे; वृत्तमौक्तिक, वाणीभूषण तथा प्राकृतपिंगळसूत्रमा १४ मात्रा (विप्र+स+भ गमे ते थइने) +ग, एम मात्रानोज मेळ कह्यो छे. मागधी नागपिंगळमां स, भ के विप्रगण थइ १२+ग, पेहेला बीजा चरण (पूर्वार्द्ध) मां अक्षर ११, जीजा चोथा चरण (उत्तरार्ध)मा अक्षर १० लाववा केहेछ श्रीधर पिंगलमां भ+म+४+ग. रामचंद्रिका काव्यमा हाकलिका नाम छे अने तेमां सगण, भगण अने विप्रगण +गुरु लावेछे, अक्षर-११,११,१२, १२ छे. .. छंदःप्रभा करमां पेहेला बीजा पादमा ११ ने वीजा चोथा चरणमा १० अक्षर लाववा कयुं छे, अने १४ मात्रामा ९+५ मात्रा करवा नियम कस्यो छे. चिंतामणीमां पेहेला त्रीजा चरणमा १० अक्षर, बीजे ११ अक्षर, अने चोथा चरणमा १४ मात्रा आणवा काछे,. छंदःशृंगारनी एक लिखित प्रतिमां "हालक नाम छे, ते लिखितदोष हशे एम जणायचे. तेमां १२+1=१४ मात्रा अने ११, १०, ११, १० एम अक्षर छे.. छंदःकामदुधावत्समां त्रण डगण+ग अने ११, १० अक्षर आणवा कर्तुं छे. छंदशास्त्रमा वृत्तमौक्तिकना जेवूज पेहेला बे चरणनुं माप कयुं छे, पण त्रीजा चोथामां डगण पैकी स के भ अने अंते गुरु आणी १० अक्षर लाववा कयुं छे; पण वाणीभूषण इत्यादिमां अक्षरनो ए नियम मान्यो नथी, एरले आ मात्रामेळनी जातिमां अक्षरमेळनो नियम मानवो अमने उचित लागतो नथी. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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