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रणपिंगळ.
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आभार आहीर नाम, ८० जाति. रच शुभ आम.२ १. ८५ छे शशि शर पर ताल, ८ वळी नव पर ठोक भाका ८९
ए रौतनी शुभ चाल, ८५ . आभीरमा रच बाल. २२. ८० एमां अंते गुरु लघु लाववा कवि दलपतराम केहेछ; छंदःशास्त्र, श्रीधरपिंगल, गौड पिंगल, लखपत जशसिंधु, छंदःप्रभाकर अने वाणीभूषणमा अंते जगण लाववा कयुं छे. जे पेहेली सात मात्रा छ, त्वांडण होय तो ठीक. बीजा प्राकृत पिंगल लखनाराओए पण ४ मात्राए यति पाळी छे. छदोवृत्तमुक्तावलीमा यति कही नथी, तेम अंते जगण लाव वा एण नियम बांध्यो नथी, पण तेना उदाहरणमां जगण आबेले. १४ रसीक. ४+७=११. तेमां अंते ऋणलघु. १,५,९, मात्राए ताल.
शिव कल रसिके गमती, १२३ छे श्रुति, हय पर विरति; १४३ चर कवि! लघु नि धर, १४१
ताल ५ शर नव उपर. २३. १४३ आदित्य. १२ मात्रानी २३३ वृत्ति थायछे. १५ अचला. ६+६ तेमां छेल्ला बे लघु. १,५,९ मात्राए ताल.
छ कल उपर, कर घट कल, २३३ अचला रच, तुं निर्मल; १५४ रवि कलमां, लल सिम धर, २२५ तालो शशि, शर नव पर.२४.२ २४
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