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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रणपिंगळ. - ~ आभार आहीर नाम, ८० जाति. रच शुभ आम.२ १. ८५ छे शशि शर पर ताल, ८ वळी नव पर ठोक भाका ८९ ए रौतनी शुभ चाल, ८५ . आभीरमा रच बाल. २२. ८० एमां अंते गुरु लघु लाववा कवि दलपतराम केहेछ; छंदःशास्त्र, श्रीधरपिंगल, गौड पिंगल, लखपत जशसिंधु, छंदःप्रभाकर अने वाणीभूषणमा अंते जगण लाववा कयुं छे. जे पेहेली सात मात्रा छ, त्वांडण होय तो ठीक. बीजा प्राकृत पिंगल लखनाराओए पण ४ मात्राए यति पाळी छे. छदोवृत्तमुक्तावलीमा यति कही नथी, तेम अंते जगण लाव वा एण नियम बांध्यो नथी, पण तेना उदाहरणमां जगण आबेले. १४ रसीक. ४+७=११. तेमां अंते ऋणलघु. १,५,९, मात्राए ताल. शिव कल रसिके गमती, १२३ छे श्रुति, हय पर विरति; १४३ चर कवि! लघु नि धर, १४१ ताल ५ शर नव उपर. २३. १४३ आदित्य. १२ मात्रानी २३३ वृत्ति थायछे. १५ अचला. ६+६ तेमां छेल्ला बे लघु. १,५,९ मात्राए ताल. छ कल उपर, कर घट कल, २३३ अचला रच, तुं निर्मल; १५४ रवि कलमां, लल सिम धर, २२५ तालो शशि, शर नव पर.२४.२ २४ 22 For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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