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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नतम् ४३७ नतम् -- तगरम् नतम् — संकुचितम् नताङ्गी—स्त्री नतोदरा - स्त्री नदिजः --- यावनाल: नदी -अग्निमन्थः नदीकदम्बः महाश्रावणिका नदीकान्तः - हिजल: नदीज: - निष्पावः नदीज: - हिजल: नदीनाथ :- पानीयम् नदी-पानीयम् नदीमातृकः—भूमिमेदः नदीवट :--- वटः नदीसर्जः—–अर्जुनः नद्याम्र: ४३३ नद्यात्र: - समष्टिल: "3 नद्यावर्तः -- मत्स्यः नद्युदुम्बरिका — उदुम्बरः नन्दनजम् — हरिचन्दनम् नन्दमुखी ४३६ नन्दा – आरामशीतला नन्दिकः – तृणि: नन्दिकावर्तः– मत्स्यः "3 नन्दितरुः --- धवः नन्दिनी — रेणुका नन्दिनी - हरीतकी नन्दिवृक्षः - कुवेरकः नन्दिवृक्ष:- तणि: नन्दी – अपामार्ग: नन्दीक्रान्ता—काकजङ्घा नन्दी—गुच्छकर अः नन्दी – तृणि: नन्दीमुखः ४३६ नन्दीमुखी – प्रत्राः नन्दीवृक्षः ४२७ नन्दीवृक्षः ४३८ www.kobatirth.org वर्णानुक्रमणिका । | नन्दीवृक्ष :- तूणिः नपुंसकम् ३९३ नभसंगमः --- पक्षी नभस्यः भाद्रपदः नभस्वान् वायुः नभम् — कमलम् नभः -- भाद्रपदः नभाः -- श्रावणः | नमस्कारी — रक्तपादी | नमेरु : – सुरपुंनागः | नयनम्--दृष्टि: नयनोपान्तः – अपाङ्गः नरनामा- नील: नरः मानुषः | नराः - मानुषः | नर्तकः नलः | नर्तकः - मयूरः नर्तकी - नलिका नर्मदा ३८२ नलकम् — पृष्ठास्थि नलक:- कलाय: नलदम्-मांसी नलदा—मांसी नलम् - रक्तपद्मम् नलः १६२ नलः ४३७ | नलिका: १०४ | नलिका ४३८,४३९ | नलिका – इन्दीवरी नलिनम् -कमलम् नलिनम् — क्षुद्रमुत्पलम् नलिनम् — रक्तपद्मम् | नलिनी पद्मिनी در " नलिनीरुहम् - बिसम् ! नली नलिका नवक्षीरम् ४२६ | नवग्रहरत्नक्रमः ३७९ नवदुः – प्रियालः For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवधान्यम् ३८९ नवनीतजम् — घृतम् नवनीतम् २४८, ३८४ | नवनीतोद्भवम्-दधि नवमल्लिका - सप्ला नवरत्नानि ३१२ नवसारः ९२ | नवम् - अभ्रकम् नवः - -क्रूर: नवाङ्गिनी—राङ्गी नवा - ताली नवार्थाः : ४३३ नवालाम्बु :- गोरक्षतुम्बी | नवौषधम् ४३३ नवौषधी ४३३ | नव्य:- क्रूरः नष्टसंज्ञकः मोहः नष्टम् दधि नहिः-चटी | नहुषम् — तगरम् नहुषाख्यम् — तगरम् ७१ ना. नाकलायकः - व्रीहिः नाकुली १५४ नाकुली ४२७,४३१ नाकुली - यवतिक्ता | नाकुली लक्ष्मणा | नागकन्दः - हस्तिकन्दः नागकर्ण:: -- एरण्डः नागकिञ्जल्कम् - नागपुष्पम् | नागकुमारिका - गुडूची | नागकुमारिका - मञ्जिष्टा नागकुमारी ४२३ | नागकुमारी — गुडूची नागकेसरम् ४३६,४३८ | नागकेसरम् - नागपुष्पम् | नागकेसरः ४२७, ४३२
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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