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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४६ चन्द्रवल्ली-माधवी चन्द्रहासम् — रौप्यम् चन्द्रहासा—गुडूची चन्द्रम्-सुवर्णम् चन्द्रः ४२५ चन्द्रः कर्पूरः चन्द्रा ४२२ चन्द्राणी शढी चन्द्रातपः-- -रात्रि नामानि चन्द्राभिधा - बाकुची चन्द्राब्जम् — उत्पलम् चन्द्राब्जम् – कुमुदम् चन्द्रालोकः——कर्पूरः चन्द्राविणी काकमाची चन्द्रा - शृङ्गी चन्द्राश्मा - इन्दुकान्तः चन्द्रास्पदा — शृङ्गी चन्द्रिका ४२६, ४३३ चन्द्रिका - कर्णस्फोटा चन्द्रिकाद्रावः - इन्दुकान्तः चन्द्रिकापायी-चकोर: चन्द्रिका मेथिका चन्द्रिका - मल्लिका चन्द्रिकाम्बुजम् —कुमुदम् चन्द्रिकायुक्ता – रात्रि नामानि चन्द्रिका रात्रिनामानि चन्द्रिका -- लक्ष्मणा चन्द्रिका – सूक्ष्मैला चन्द्रेष्टा— कुमुदम् चपलम् २९० चपलम् — पारदः चपल: - चोरकः चपलः - पारदः चपल:- महारसा: चपल: - माषः चपला ४२३ चपला-- पिप्पली धन्वन्तरीयनिघण्टुराजनिघण्टुस्थशब्दानां - चर्म -- रसः चपेट: - उत्सङ्गादीनि चमरपुच्छ ः --- कोकड: | चर्मवादिनी ४२९ चमर:-बलीवर्दः चमरिक:- कोविदार: चर्मवृक्षः ४३५ चर्मत्रण: | चमरी — कूलेचराः | चमरी—बलीवर्दः चमरी - रोहिणः चम्पककलिका ४३७ चपला - सुरा चपिका - शेफालिका www.kobatirth.org | चम्पकरम्भा – सुवर्णकदली चम्पक : १९९ | चम्पकः ४२७,४२७,४३१, ४३८ चम्पकः- आश्लेषा ३२७ चरक:--पर्पट: चरणम्-मूलम् चरण:--- पाणिः चरणायुधः कुकुटः चर: कपर्दिका चराचरः - कपर्दिका |चराब्दम् — तापसप्रिया चर्मकशा -- मांसरोहिणी चर्मकषा ४२५ चर्मकषा ४३७ | चर्मकषा — मांसरोहिणी | चर्भकषा - सातला चर्मकसा — मांसरोहिणी चर्मकी ४०५ | चर्मगन्धिका चर्मकी चर्मचित्रकम् — चित्रम् चर्मजम् — रक्तम् चर्मजम्-रोम चर्मतरङ्गः – बली चर्म त्वक् चर्मदल: ४२२ | चर्मदृषिका – दुर्मा चर्मपक्षी - चर्मकी चर्मपत्रकम् - मरिचम् चर्मपत्री - चर्मकी |चर्भरङ्गा-आवर्तकी " >> Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only कृता चर्मसार:- रसः |चमांङ्गी—चर्मकी चर्मालुर अनम् — हिङ्गलम् चर्माम्भः - रसः चमी चर्मकी चर्वणम् ३११ चर्वणम् - भोजनम् |चलपत्र :- पिप्पल : | चलपिच्छकः-चटी चलः -- कालत्रयम् चलः नखम् चलाचलः काकः | चलातङ्कः- वातव्याधिः |चवलः -- माषः चत्रिकम् -- चविका चविका ८५ | चविकाशिरः———मूलम् | चव्यकम् ४२६ चव्यकम्-चविका चव्यजा-श्रेयसी चव्यफला-श्रेयसी चव्यम् ४२६ चव्यम् - कृकरः चव्यम् — चविका चव्या- -कार्पासी चा. चाङ्गेरी ४२६,४२७,४२९,४३७, ४३७,४३७,४३९. | चाङ्गेरी - क्षुद्रालिका चाङ्गेरी - लोणिका चाङ्गेरीशाकम् ३५४ चाटकैरः -- चटकः | चाणका ४२५ | चाणक्य मूलम् - विष्णुगुप्तम् चाणक्य: ४९९
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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