________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कि ये चन्द्रगुप्त और चाणक्य है। माजी ने गरम-गरम खीचड़ी परोस दी, वो जल्दबाजी में तो थे ही क्योंकि उन्हे ओर भी आगे निकल जाना था। और उन्होंने गरम-गरम खिचड़ी की थाली में हाथ डाल दिया। हाथ में लिए कवल को मुँह में पहुंचने से पहले ही छोड़ देना पड़ा । बुढ़िया बोली तुम भी चाणक्य जैसे महामूर्ख लग रहे हो। बुढ़िया के मुंह से यह शब्द सुनकर दोनों ही चौंक गए। परन्तु बात को सम्हालते हुए उसने पूछा। माताजी! चाणक्य तो बड़ा बुद्धिमान है आपने मेरी तुलना उससे क्यों की? क्या खाक बुद्धिमान है उसके जैसा बुद्ध कोई नहीं। माताजी ऐसी क्या बात हुई। अरे! चाणक्य जैसी भूल करता है तुमने भी वैसी ही भूल की। सीधे बीच में ही हाथ डाल दिया उसका परिणाम क्या आया? हाथ में लिया कवल बीच में ही छोड़ देना पड़ा न! अगर अगल-बगल से खिचड़ी खायी होती तो बीच की खीचड़ी अपने आप ठंडी हो जाती। चाणक्य भी ऐसी ही गलती बार-बार कर रहा है। छोटी सी सेना लेकर पाटली पुत्र पर आक्रमण करता है और हर बार मुँह की खानी पड़ रही है। अगर वह छोटे-छोटे रजवाड़ों को पहले अपने अधीन करेगा। तो पाटलीपुत्र अपने आप अपने अधीन हो जाएगा। बुढ़िया की इस बात से, युक्ति से सबक लिया, शिक्षा ली। पुनः सेना संगठित की - राजा पर्वतक से मित्रता की और उसे नन्द के राज्य के उपर आक्रमण करने के लिए येन केन प्रकारेण सहमत किया। पर्वतक की सहायता प्राप्त करने के बाद चन्द्रगुप्त और चाणक्य ने पहले तो छोटे राज्यों-रजवाड़ों को वश में किया।
फिर एक दिन नन्द वंश का अंत कर पाटलीपुत्र के राजसिंहासन पर अपना अधिकार कर लिया। इस तरह चन्द्रगुप्त ने नन्दराज वंश को समाप्त कर मौर्यवंश की स्थापना की | राजगृही के राजा श्रेणिक के बगीचे में आम्रफलों की चोरी हुई। बगीचे की सुरक्षा के लिए चारों तरफ कंटिली बाड़ लगाई गई थी। कोई किसी फल को ले सके, तोड़ न सके वैसी व्यवस्था और सुरक्षा की गई थी फिर भी चोरी हो गई और ये मालुम नहीं हो रहा था कि आम्रफल किसने चुराये हैं। चोरी का पता लगाने का और चोर को पकड़ने का काम
38
For Private And Personal Use Only