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है। इस पर सोचकर समाधान ढूंढ़ना। समाधान मिलने पर मुझे भी बताना।
और हाँ घोड़े का ध्यान रखना। मैं अन्दर सो रहा हूँ। अरे बाबा! आप निश्चिंत होकर सो जाईए मैं जागने और ध्यान रखने वाला बैठा हूँ न । शेठ भीतर जाकर सो गये। कुछ देर नींद आई दूसरे प्रहर में फिर नींद उड़ गई। घोड़े की चिंता से बाहर आए। देखा तो, पहरेदार जाग रहा है। शेठ ने पूछा, क्या सब ठीक है न। घोड़. .. पहरेदार ने कहा घोड़ा तो ठीक है उसकी चिंता छोड़ो। शेठ ने पूछा तो फिर क्या सोच रहे हो? कुछ समाधान मिला? पहरेदार बोला, उसका तो समाधान नहीं मिला, दुसरी समस्या पैदा हो गई, ईश्वर ने जब
खुदाई करके बड़ी-बड़ी नदियाँ बनाई, तो इतनी सारी मिट्टी कहाँ डाली? मान लिया कि उससे पहाड़ बनाये होंगे। किन्तु समुद्र की मिट्टी कहाँ डाली होगी? शेठ ने कहा प्रश्न अच्छा है, सोच करके सुबह में मुझे भी बताना और घोड़े का ध्यान रखना। शेठ भीतर जाकर फिर सो गये। घोड़े की चिंता में तीसरे प्रहर के अंत में फिर नींद उड गई वह बाहर आया। देखा, पहरेदार जागता हुआ कुछ सोच रहा है। शेठ खुश हो गये। पूछा अब क्या सोच रहे हो? समाधान मिल गया? पहरेदार ने कहा, नहीं जी! किन्तु एक और उलझन पैदा हो गई । ईश्वर ने जब दुनिया बनाई होगी तब पहले पेड़ बनाये होंगे या बीज? बीज मैं से वृक्ष हुआ या वृक्ष में से बीज? शेठ ने कहा बड़ी भारी शंका है, समाधान ढूंढना मिल जाय तो सुबह मुझे भी बताना । शेठ तो यही चाहता था कि पहरेदार संकल्प विकल्प करता रहे जिससे कि उसे नींद न आये, शेठ ने कहा ठीक मैं सो रहा हूँ घोड़े का ध्यान रखना। शेठ फिर सो गये। सवेरा हुआ शेठ घोड़े की चिंता में बाहर आए। देखा, पहरेदार सो रहा था। सेठ ने जगाया और कहा तुम सो क्यों गये? घोड़ा कहाँ हैं? पहरेदार बोल सारी रात विकल्पों में बीत गई अभी-अभी ही आंखें लग गई थी। गलती हो गई। कोई घोड़ा ले गया लगता है। शेठ क्रोधित हो उठे। तभी उसने कहा, शेठजी एक नयी समस्या आन पड़ी है। यह सुनकर शेठ का दिमाग खराब हो गया। अब तेरी समस्या जहन्नम में जाय।
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