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माली उनकी जरा भी परवाह नहीं करता है। क्योंकि यहाँ दुनिया में स्वार्थ का ही बोलबाला है। सरोवर में जब तक पानी भरा होता है, तब तक हजारों मनुष्य पशु पक्षी वहाँ आते हैं, परन्तु ज्योंहि वह सरोवर सूख जाता है, त्योंहि सभी व्यक्ति उससे दूर चले जाते हैं। संसार में प्रेम करते हैं धन से। संसार में प्रेम करते हैं पद से। संसार में प्रेम करते हैं शक्ति से। संसार में प्रेम करते हैं रूप से । यदि तुम्हारे पास धन है, पद है, रूप है अथवा शक्ति है तो दुनिया तुमसे प्रेम करेगी। तुम्हारे प्रति सन्मान भाव दिखायेगी, परन्तु यदि तुम्हारे पास इनमें से कुछ भी नहीं है तो तुम्हारे ही मित्र-स्वजन-संबंधि तुम से दूर-दूर रहेंगे। इसीलिए तो भगवान महावीर ने कहा है। स्वार्थमय संसार है संसार के सारे संबंध स्वार्थ से भरे हुए है। आज संसार में कई घटनाएँ ऐसी घट रही है जो मानव जाति के लिए कलंक है। अखबारों में हम बहुधा पढ़ते हैं। अपने नाम से वसीयत नाम न करने पर पुत्रों ने पिता की हत्या कर दी। धन के लालच में बेटे ने माँ के पेट में छुरा चला दिया। पति ने अपनी नई नवेली दुल्हन पर दहेज के लिए केरासिन डालकर आग लगा दी। संपत्ति के लोभ में भाई ने भाई की हत्या कर दी। एक पिता ने अपनी बेटी के साथ मुंह काला किया। माँ बाप ने एक बेटी को दरिन्दों के हाथ में बेच दिया।
एक शेठ की दो पत्नियाँ थी। दोनों कमरे आमने-सामने थे। एक दिन शेठ देर रात तक घर नहीं लौटा । संयोग से एक दिन चोर चोरी करने उसी शेठ के घर में घुस गया। रात के करीब बारह बजे जब शेठ घर आया तो ऊपर चढने के बाद दायें कमरे में घुस गया तो बाएं कमरे वाली पत्नी चिल्लाती हुई आई और दरवाजे पर हाथ मारने लगी। शेठ जब बाहर आया तो उसने कहा, आज तो मेरी बारी है। दाएं कमरे वाली शेठानी बोली कि बारी है तो क्या हुआ। शेठ आज मेरे कमरे में आ गया है। दोनों लड़ने लगी। दोनों ने शेठ का एक-एक पाँव पकड़ लिया और लगी अपने अपने कमरों की तरफ खींचने। चोर यह सारा नजारा देखता रहा। सारी रात गुजर गई, चोर चोरी न कर सका और शेठ को कोई शेठानी अपने कमरे में न ले जा सकी। सुबह हो गई । इतने
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