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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 115) अदम्भः "दम्भी मत बनो" आज के आदमी के पास मनी दो प्रकार की होती है। एक नंबर की और दो नंबर की। वैसे आज का आदमी भी दो प्रकार का होता है। अंदर का और बाहर का। हाथी के दो प्रकार के दांत की तरह आदमी के दो प्रकार है। चेहरे के उपर मुखौटा लग जाने से असली चेहरा ढ़क जाता है वैसे अंदर के आदमी का चेहरा बाहर के आदमी का मुखौटा लग जाने से ढ़क जाता है। बाहर से भगवान महावीर के अनुयायी/भक्त के नाम का मुखौटा पहनकर घूमने वाले आदमी का चेहरा तो कभी चंडकौशिक को भी शरमाये वैसा होता है। महिने की प्रत्येक एकम को दो-दो घंटे तक सुंदर स्नात्रमहोत्सव करने वाला आदमी घर आकर छोटीसी भूल के लिए घर के सदस्यों के साथ झगड़ा करता हो तो क्या समझना? लाखों रूपयों के चढ़ावे की बोली बोलकर मंदिर में परमात्मा की प्रतिष्ठा करने वाला आदमी यदि अपने माँ-बाप को घर में रखने को तैयार न हो तो क्या समझना? हर दिन अष्टप्रकारी पूजा करने वाला, प्रभु के गुण किर्तन करने वाला दूसरे की निंदा भी करता जाये तो क्या समझना? ऊंची बोली बोल कर आचार्य भगवंत को कमली बहोराने का चढ़ावा लेने वाला, साधर्मिक भाई अथवा दुकान में निष्ठा से काम करने वाले नौकर का तिरस्कार करता हो तो क्या समझना? ___सेंतालिस, पेंतीस और अट्ठाईस दिन तक उपधान में उपवास नीवी आयंबिल करने वाला उपधान के बाद रात्रि भोजन करता हो तो क्या समझना? शत्रुजय की नब्वाणुं यात्रा करने वाला घर आकर फिल्मी हॉल और होटल के चक्कर काटता हो तो क्या समझना? पर्युषण में मासक्षमण, सोलह, ग्यारह या अट्ठाई का तप करने वाला पारणे में अभक्ष्य अनंतकाय और कंदमूल खाता नजर आये तो क्या समझना? तेरह महिने और तेरह दिन तक लगातार एकान्तरे उपवास करने वाला पालने के बाद नवकारसी भी न करें तो क्या समझना। एक बहन ने अट्ठाई की पारणे के अगले दिन अर्थात् संवत्सरी के -109 - For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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