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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri @yanmandir प्र. सं. चिंत्ययोगिनी मूलदेवता युताधारशक्तयं वा देवैनमः । पूल्लं ऐसें म हात ल लोक निलयशनको टिमहागु ह्यस्वतंत्र योगिनी २ मूल देवतयुताधारशक्त्यंबा देव्यै नमः। ५ओं औत लातललोकनि लय शतकोटिपरम गुह्ये च्छायोगिनी मूल देवतायुता धारेश कांबा देव्यै नमः | ५ अं अः रसातल लोक निलय शतकोटिरह स्पज्ञान योगिनी मूल देवतायुताधारशक्त्यं बादे ये नमः । ५ कखंग घंडपाताल लोक निलय शतकोटिस रहस्य तर क्रियायो गिनीमूलदेवता युता धार शक्त्यं वा देव्यैनमः। ५चं भूल्लेकि निलयशन कोय तिरहस्यडा किनी योगिनी मूल देवतायुता धारशक्त्यं वा देव्यै नमः पूटेड डंपणेभुव लोकनिलय शतकोटि महा रहस्यरा कि नी योगिनी मूल देवनायुता धार शक्यं वा देव्यै नमः। पनं चंदं धं नं स्वर्लोक निय शत कोटि परमरहस्य लाकिनी योगिनी मूल देवतायुनाधार शक्यं वा देव्यै नमः। पूर्शषं सं हं तपो लोकनिलय शतकोटि अनि गुहा हा किनी योगिनी मूलदे बतायुता धारशक्त्यं वा देव्यै नमः। पूलं संसत्य लोकनिलोय शतकोटि महागुप्त यक्षि णीयोगिनी मूल देवतायुता धारशक्त्यबा देव्यै नमः ।। ऐं ह्रीं श्रीं हसौः स हैौः सर्वमातृका मुला चतु दर्श भवनाथि पाये परों वा देव्यै नमः दूनि व्यापकं कुर्यात्। बीज चं कंसर्वत्र योज्यम् । पादयो गुल्फयोर्जे भयो जान्वोः कटि हयेगुदेमूलाधारे स्वाधिष्ठानेम रामः मणिपूर के हृदये विशुद्ध भ्रूमध्ये वारंध्रे इतिक्रमे णन्यसेत् । एवंत्र्यग्नित्रिनेत्र द्वियुग स्व रकचटतपय शलवर्गपूर्वकं ८२ पं फं बं मंमह लैकि निलय शतकोटि गुप्त का कि नी योगिनी मूल देवतायुताधारशक्त्यं वा देव्यै नमः यं रं लं वंजन लौक निलयशतकोटि गुप्त र साकिनी योगिनी म् For Private And Personal देवतायुता धारयंबा देयै नमः ५
SR No.020571
Book TitlePrapanchasara Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGiryanendra Saraswati
PublisherGiryanendra Saraswati
Publication Year
Total Pages755
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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