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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Guanmandir प्रस. यांस्रष्टिन्यासेत्वयंक्रमाइतिचकन्यासस्थानानि भयोक्तस्थानेषन्यासपकारवाहीश्री बैंदेवचक्रायनमः इतिवत्सर। ईष्यापकंकवाहीश्रीकएईलहींह सकहनहींसक लहीं एवखंडनयंमत्कातदंतेतरीयरवंडाव्यं श्रीबीजम् । कानदंतेपरब्रह्मचक्रे ओड्याणपीठेचर्यानाथसमस्तचकसपरिवार परमतत्वमष्टिस्थितिसंहारकत्येच्छाज्ञानकि माशक्ति वाग्भवकामराजशक्तिबीजात्मक परमशक्तिस्वरूपश्रीमहात्रिपुरसुंदरीदेवीपरब्रह्मात्मशक्तिश्रीपाडकांपू|| जयामीतिसकंकमविलेपनामिनिपूर्वोक्तध्यानक्रमेणब्रह्मरंध्यात्लाब्रह्मरं न्यसेत्। पुनःसेंहीश्रीहसकलरईह|| सकलडीहसकल रौः श्रीमहात्रिपुरभैरवी नित्यानीपादकां पूजा या मिा इतिचक्रेशीमात्मरूपांतत्र विन्यस्यपुनः॥ सेंहीश्री योनिमुद्रायैनमातियोनिमदोपदी ऐं ह्रीं श्रींसषापरारहस्ययोगिनीसर्वानंदमयेमहाचक्रेबैंदवेपरख मम्वरूपिणीपरामतशक्तिस्वरूपिणीमर्वचक्रेश्वरीसर्वमन्नेवरीसर्ववीरेश्वरीसर्ववागीश्वरीसर्वयोगेश्वरीसर्वपीठे अरीसर्वसिद्देश्वरीसर्वतत्वेश्वरीमर्वकामेश्वरीसर्वरक्षेश्वरीसर्वजगदुत्पनिमार कासर्वचैतन्य शक्तिस्थचकाः सासना समद्धाःससिद्धयःसशक्तयःसायधाःसवाहनाःसपरिवारा:सचकेश्वरिकाःश्रीमहाविपरसंदरीन्यस्ताःमननमादीराम तिवारवंदेतापुनस्त्रिकोणाहीश्रीं त्रिकोणचक्रासनमाइतिव्यापकत्वहीं श्रींकसलहीं श्रींकमलही ई For Private And Personal
SR No.020571
Book TitlePrapanchasara Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGiryanendra Saraswati
PublisherGiryanendra Saraswati
Publication Year
Total Pages755
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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