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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org प्रकरण समुच्चयः चरणकरण. ३४ ॥८५॥ चउकं ॥ १७॥ उग्गमदोसुप्पायणदोसा तह एसणार दोसा उ ! मंडलिदोसा एवं पिंडविसोही भवे चउहा ॥१८॥ सोलस उग्गमदोसा सोल- | स उप्पायणाएँ दोसा उ । दस एसणाएँ दोसा मंडलिदोसा उ पंचेव ॥१९।। इरिसमिइ भाससमिई एसगसमिई तहोवगरणम्मि । गहणट्ठावणसमिई परिट्ठावणसमिइ पंचमिया ॥२०॥ पढममणिच्चमसरणय संसारो एगया य अन्नत्तं । असुइत्तं आसव संवरो य तह निज्जरा नवमी ॥ २१ ॥ लोगसहावो बोहीऍ दुल्लहो धम्मसाहओ अरहा । एयाओ सइ बारस जहक्कम भावगीयाओ ॥ २२ ॥ मासाई सत्तता | पढना वियतइय सत्तराइदिणा । अहराइ एगराई भिक्खूपडिमाण बारसगं ॥ २३ ॥ फरिसण रसणं घागं चक्खू सोत्ता य इंदिया पंच । तन्निग्गहो जिणेहिं भगिओ करणस्स मज्झम्मि ॥ २४ ॥ देहपडिग्गहकंबलवत्थाईयं जया उ पडिलेहे । तइया ठाणा पडिलेहणाएँ पणवीसई हुति ।। २५ ।। जइविहु तणुपत्ताइसु वत्थाइसु अन्नहेव पणवीसा । समयपसिद्धा तहविहु गेज्झा एकेव पणवीसा ।। २६ ॥ सुविसुद्धमणोव. इतणुजोगा गुत्तीतिगं इमं होइ । दवे खेत्ते काले भावे य अभिग्गहा चउरो ॥ २७ ॥ पिंडस्स जा बिसोही ४२ समिईओ ५ भावणा १२ | तवो१२दुविहो । पडिमा १२ अभिग्गहावि ४ व उत्तरगुणमो वियाणाहि ॥ २८॥ पिडविसोहिप्पभिई अट्ठाणाण अंकसंखाए । एगत्थ मीलि | याए करणं सत्तरिविहं होइ ॥२९॥ चरणं करणं दुविहपि होइ सत्तरसभेयसभिन्नं । अहवा चरणं करणं पत्तेयं सत्तरिविहं तु ॥ ३०॥वयसमPणाई अट्ठ उ पिंडविलोहियमाइ अहेव । नवरभिह संपयाया वयसमणाईयगाहाए ॥ ३१॥ यावच्चं च इहप्पयम्मि चसद्दयाउ सज्झाओ । || नवमो इय संजोगो सतरसहा चरणकरणाई ।। ३२॥ चरण करणं सत्तरसविहं तु इय बकसकचकरणथं । वयगाहाएँ चसदा सज्झाओ ल आसि जो गणिओ ॥ ३३ ॥ सो इह नो गणियब्बो तत्तों वयमाइअट्ठठाणाणं । विवरम्मि सत्तरिविदं चरणं किर बेति समयन्नू ॥ ३४ ॥ सव्वं पाणइवायं सब्बं मोसं अदिन्नदाणं च | सव्वंपि मेहुणं परिग्गहंपि निसिभोयर्ण सव्वं ॥ ३५ ॥ जावज्जीवाएँ तिविहं तिविहेण तिका For Private and Personal Use Only
SR No.020563
Book TitlePrakaran Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasinhsuri
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1923
Total Pages133
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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