________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रकरण [मुच्चयः
॥ ६४॥
| वग्गियम्मि ते जुत्ताणतं अइक्कमिउं ।। ८९ ॥ पडियमणताणते जहण्णगे तस्स रूवअवहारे । उक्कोसं जुत्ताणतयंति संपज्जए तत्तो ॥५०॥ सिद्धान्तोतट्ठागाउ जहणं जुत्ताणतंति जाव विण्णेयं । माझिमजुत्ताणतणंतरठाणेसु सब्बेसुं॥९१॥ तो तमणताणतं जहण्णय तिण्णि वार वग्गाहि । संवग्गियंक द्धारः
च काउं तहबुकोसं न पावेइ ।।१२। ताहे छप्पक्खेवा अर्णतया सिद्धमाइया खिविउं । काऊण तिणि वारा वग्गियसंवग्गियं च तहा ॥ ९३ ॥ | सिद्धा १ निगोयजीवा २ वणस्सई ३ काल ४ पोग्गला ५ चेव । सव्वमलोयागासं ६ छप्पेएऽणंतपक्खेवा ॥ ९४ ॥ तहवि अणताणतं | उक्कोसं जा न पावए कहवि । ताहे केवलनाणं पखिप्पइ ईसणं चेव ॥९५॥ तहवि अणंताणतं उक्कोस नेव होइ कइयावि । एवं च ठिए जत्थ उ सिद्धते भन्नए बहुहा ।। ९६ ॥ उकोसमणताणतयंति तत्थाजहन्नगुकोसं । छत्तव्वमणताणतयंति इइ आहु सगयन्नू ।।९७|| एवं अर्णतयं पुण
पुग्गलपरियट्टएनु संभवइ । तं जाणणत्थमहुणा पुराणगाहा उ भन्नति ॥ ९८ ॥ ओरालविउव्वियतेयकम्मभासाणुपाणमणगेहिं । फासेवि | सवपोग्गल मुक्का अह बायरपरट्टो ।।९।। दल्वे सुहुमपरट्टो जाहे एगेण अह सरीरेण । लोगंमि सब्वपोग्गल परिणामेऊण ते मुका ॥२०॥ | लोगागासपएसा जया मरतेण एगजीवेणं । पुट्ठा कमुकमेणं खेत्तपरट्टो भवे थूलो ॥ १ ॥ जीवो जया य एगे खेत्तपएसम्मि जहिगए मरइ ।।
पुणरवि तस्ताणतरवीयपएसंभि जइ मरइ ॥२॥ एवं तरतमजोएण र.व्वखेत्तंभि जइ मओ होइ। सुहुमो खेत्तपरट्टो उक्कमेणं नवि गणेज्जा ॥३॥ | ओसप्पिणीए समया जावइया तत्तियाई मरणाई । जइया पत्ताई कमुक्कमहिं अह बायरपरट्टो ॥ ४ ॥ सुहुमो पुण ओसप्पिणिपढमे समय|म्मि जइ मओ होइ । अन्नाइवि समणंतर बीए समयम्मि जइ मरइ॥५॥ एएण कमेण पुणो ओसप्पिणिए उ सव्वसमएसु । जइ कुणइ पाणचायं | कालपरट्टो मुणेषब्यो ॥६॥ जे सुहुमागणिजीवा असंखलोयाण जत्तिय पएसा । जत्तिय तेउकाठिई एएसि चिय असंखगुणा ॥७॥ कायठिई
॥६४। है। एहितो अणुभागे जागि बंधठाणागि । ताजि असंखगुणाणि य संजमठाणाणि तावंति ॥८॥ अणुभागबंधठाणेसु चेव सब्वेसु जइ मओ होइ । अ
C
For Private and Personal Use Only