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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण समुच्चयः । १८॥ जंतणो । तेण दुक्खेण संतत्तो, न सरइ जाइमप्पणो ।। १७ ।। सूईहि अग्गिवन्नाहि, संभिन्नस्स निरंतरं । जावइयं गोयमा दुक्खं, गब्भे| कृष्णाराज अगणं तओ ॥१८॥ गम्भाओणीहरंतस्म, जोणोजतणिपीलणे । सयसाहस्सियं दुक्ख, कोडाकोडिगुणंपि वा ॥१९॥ उयरे कोवि घसंतो । विमान धम्म सणिण चित्ततल्लेयो । तदप्पिकरणो मरिउं सुहभावा जाइ सुरलोअं ॥ २० ॥ मोही परवल दडं चउहा सेरणं वेउब्बिउं जुज्झे । IC विचारमक | तदप्पिप्रकरणो मरि वच्चइ एसो महानरए ॥ २१ ॥ दोहि असईहि पसई दुप्पसइ सेइया चउ कुडवो । चउकुडवो मगहपत्थो चउ- रणम् पत्थो आढो होई ॥२२॥ एयं देहसरूवं कहियं वीरेहि गोयमाईहिं । तंदुलवेयालियसुए भविप्रजणविबोहणट्राए ॥ २३ ॥ CM यंत्र-२ असइ-पसइ, २पसइ-सेतिअ, ४सेतिअ-कुडब, ४कुडव-प्रस्थ, ४प्रस्थ-आढक, ४आढक-द्रोण ११॥] इति देहकुलकं समाप्तम् ।। ॥ अथ कृष्णराजीविमानविचारस्तवनम् ॥ १२ ॥ जहिं जह लोगंतियसुरेहि वयसमय संथुय जिणिदा । तेसिं तह कित्तणेणं सभासओ अहमवि थुणेमि ॥१॥ तिरियमसंखइमो खलु दीवो अरुणवरनामओ तत्तो । जोयणदुचत्त ४२ सहसा ओगाहिय अरुणवरजलहिं ।। २ ॥ तत्थ पएसे जलमयतमकाओ निग्गओ कसिणरूवो। बलयागिइ अह भागे फुकुडपंजरसमो उवरि ॥ ३ ॥ उबरुवरि वित्थरंतो सोहम्माईण आवरेमाणो । ता पत्तो जा पंचमकप्पंतिमपयरुवरि मिलिओ ॥ ४ ॥ तत्थंतिमंमि पयरे रिट्ठाभविमाण चउदिसिं दो दो। समचउरंसखाडयदिइयो अड कण्हराईयो ॥ ५ ॥ पवावरउत्तरदाहिणाहि मझिल्लयाहि पुट्ठा हि । दाहिणउत्तर पुवा अवरा बहिराइयो कमसो ॥ ६॥ पुब्बावरा छलसा तंसा पण | ॥१८॥ दाहिणुत्तरा बज्झा । अभितर चउरंसा राईओ पुढविरूवाओ ॥७॥ श्रआयामपरिक्खेवो ताणं अस्संखजोयणसहस्सा ।। संखिज्जसहस्सा पुण **PASHAHAHAHAHAHARA For Private and Personal Use Only
SR No.020563
Book TitlePrakaran Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasinhsuri
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1923
Total Pages133
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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