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कारण वीना।
थ नारखे ॥३॥ | कारण जायं मुत्तं। कप्पंति न नुत्तु जं वुत्तं ॥३॥ वीकतीथी माठी गतीनां वीगय सहीत जीवारे नोजन करे दुख पांमे माटे जय पामे। जे साधु तो॥ - विगई विगई नीन। विग गयं जोन मुंजए साहु॥|| वीगय ने ते वीक्रतीकरण स विगयथी माती गतीपणाने बले क| नावपंत ते।
री पमामे ॥४०॥ .... विगई विगय सहावा। विगई विगई बलानेई ॥४॥ हवे अनक्ष वीगयना नेद मद मध त्रण नेदे जे हवे काष्टनी पी कुतीनु१ मांखीनुश्नमरीनु। गनीश मदीरा बे जेदे॥
कुत्तीय?मछियश्नामर३। महु तिहा कपिधश्मऊ दुहा हवे जलचरर थलचर याकासच घृतनी परे मांखण चार नेदे रश्नुं मंस त्रण नेदे।
अनक्ष ॥४॥ जलथलरखगश्मंस तिहा।घय व्व मकण चनअनका हवे पचखांणना नांगाधएमन वचनश्कायइमनवचनः । [॥४१॥
मगर वयण काय३ मणवय। मनकायए वचनकाय मनवचनकायपत्रीकयोगी ए सात सात जे॥ ___मण तणु५ वयतणु६ तिजोगिसगिसत्त७॥ करण करावण अनुमोदन ध्वीक अतीत अनागत व्रतमानका त्रीक संज्योग सहीत। ले एकसो समतालीस॥
कररकारश्णुमई३दु ति जु।तिकाल सियाल नंग स ए जे नांगा कह्यो जे का लेनार धगिए पोते मन व ल पोरसि आदेमां। चन कायाइं करी पालवा॥
एयंच नत्त काले। सयंच मण वय तणूहिं पालणियं॥
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