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________________ - - - अन्नरसहपारिश्महधस पंच खवणे उपाणलेवाई॥ चार आगार दिवस/व्व। अनीग्रहमां अन्नथ्थणा सहस्सा चरीममां अंगुठसहि आदी। महत्तरा सव्वसमाहि । चन चरिमं गुपई। निगाहि अन्नरसहश्मह३ सव्वध दुध वीगय मद वीगय मदीरा ए चार ढीली वीगय वली ॥२२॥ वीगय तेल वीगय। चार कठण ने ढीली ते कहे॥ दुवामहुश्मरतिनं । चनरो दव विगइ चनर पिंमदवा घी वीगय गुल वीगय दही वीगय मांखण वीगय पकवान वीगय मांस वीगय। ए वे कठण वीगय ॥॥ घयरगुलश्दहियंपिसियं।। मकणएपकन्नदोपिंमा पोरसि पच्चखाण साढपोर बेसणानु पच्चखाण नीवीनु । सि पञ्चखाण तुल्य अवढ पच्चखाण एकासणा तुल्य पोरसी पच्चखाण पुरिमढ तुल्य। यादी तुल्य अागार ॥ पोरसि सढ अवडं। दुनत्त निविगई पोरिसाइ समा॥ अंगुतसही पञ्चखाण मुठसही सचीत द्रव्य नीमादी पच्चखाण पञ्चखाण गंठसही पञ्चखाण। अनीग्रह पच्चरखांण ॥२३॥ अंगुठ मुछि गंगि। सचित्त दव्वाश निग्गहिय॥२३॥ प्रागारना अर्थ वीसर्याथी मु सहसात् अजाणे पोतानी मेले मु खमां घाले ते अनाजोग। खमां पाणी प्रमुख प्रवेस थाय ते ॥ विस्सरण मणा नोगोर। सह सागारो सयं मुह पवेसो॥ गुप्त जे दीवस मेघ वादला दीगमुढ दीसीनी भ्रांतीथी पोरसी पारे। दीकथी अपुरे पुरोकाल ते दिसिमोह ॥२४॥ जांणी पारेतो। | पनन्नकाल मेहा३३ । दिसिविवजासु दिसिमोहो॥४॥ - - -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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