SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ GY हवे पाणिने वीषे कांजी वा ा कपासीया वा काकीनु धोयण बण पांणी जव केर धोयण जल। जल मदीराजल आदी सब्दथी बीजां पण जल जांगवां ॥१५॥ पाणे कंजिय जव कयर। कक्कमो दग सुराश् जलं॥१४॥ हवे खादीमने वीषे सेक्यां धान हवे स्वादीमने वीषेध सुंठ जीरु फल केला आदे। अजमादी॥ __ खाश्म नत्तो स फला। साश्मेसुंग जीर अजमा॥ मध गोल तंबोल पान सो हवे अणाहार वीषे मात्रु लींबमा पारी लवंग एलची आदे। प्रमुख ॥१५॥ ___ महु गुल तंबोला। अणहारे मोअ निंबाई॥२५॥ हवे पच्चरवाणनाथागारनु द्वार सात पुरमिढमां एकासणामां बेश्यागार नोकारसहिमांड६ आठ यागार॥ पोरसिमां। दो नवकार पोरसि।सग पुरिमढे३एगासणे अध्॥ सातण्यागार एकलणामां आठ पांचपागार चोथ नपवासा आंबीलमां श्रागार। दिकमां बागार पांणसमां॥१६॥ सत्ते गगणे|अंबिल। अपण चन्नप्पाणे २६ चारागार दीवसचरीममां चार पांच आगार वस्त्रादि लेवानवे श्रागार मुउसही आदी अनीग्रहमां। तेमां नव अथवा आत नीवीमां चन चरिमे चनिग्गहि। पण पावरणे नव निव्विए। आगार जे नवित्त बीवेगेणंने। मुकीने एकली द्रव्य वीगयनो नी यम करे तो आठ ॥१७॥ अागारु खित्त विवेग। मुत्तु दवविगइ नियमि॥१७॥ नमुकारसीमां आ० अनथ्थ पोरसी साढपोरसीमां अनथ्यणानो
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy