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|वैयावच करता सासन नपयोग अर्थे चोथी थुई ॥ ५ ॥ रक्षक देवा देवीयोनी।
वेयावच्च गराण। नवन्ग 5 चन्च थुई ॥५॥ पाठ निमीतनु द्वार १७ पाप वंदणवत्तिया आदे बनीमीत खपावाने अर्थे इरियावहीया। बं? पुर सर सर बोर नि।
पाव खवणन रिया। वंदणवत्तिया निमित्ता॥ जिनप्रवचन अधीष्टायक देव कानस्सग्गर एम नीमीत पाठ चै समरवा अर्थे ।
तवंदन वीषे ॥५३॥ पवयण सुर सरण । नस्सग्गो श्य निमित्त ॥५३॥ बार हेतुन द्वार१७ चारहेतु तस्स प्रमुख सद्धाए इत्यादीक पांचए न०१पायबित्तावीसोही विसाल्ल? । हेतु ॥
चन तस्सत्तरी करण। पमुह सघाश्त्राय पणहेक॥ वेयावञ्चगराणं इत्यादीक। त्रण३एम हेतु ए समग्र बार हेतु थयां।५।।
वेयावच्चगर ताइ। तिन्निश्अहेक बारसगं॥॥ सोल धागारनु द्वार एअन्नथ्था आगार एवमाइएहिं इत्यादी चा दीबार १२ आगार कानसगना। रच ते॥
अन्नबयाइ बारस। आगारा एवमाश्या चनरो॥ दिवादो अगनीजयथी थापना वीचे सादीक जयथी पुंजी आयो पंचंद्रीनी आमे चोरादीक नयथी। खसेतो कानसग न नागे॥५५॥
अगणि पणिंदि बिंदण। बोहिखोनाई मक्कोअ॥५॥ हवे कानसगना दोषनु द्वार२० मालदोष र नधीर नीननदोष जी|| थोटक? वेलमीर थंनदोष। लमीर खलीणदोष१॥ घोमग?लयश्Mनाई।मालुधघीयनियलक्ष्सबरि खलि
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