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________________ - ROBERT संपदामां पद बेश्पद बहपद सा बपद चैत्यस्तवनी संपदामां पद तपद नवएपद त्रण३पद ब६ प्रथम केहे। पद चारधपद। दुरसगश्नवतिय उप्पयचिअसंपया पया प अरिहंतचेइयाणं र [बक्ष्चक। अन्नथनससिएणं सहुमेहिं[ढमा। बंदणवत्तियाएर सद्धाए। अंगए एवमाइ एहिं ६ जाव अरिहं ताणं तावकायं॥३७॥ अरिहं वंदण सघा। अन्न सुहुम एव जा ताव॥३॥ संपदानांम अंगीकार संप हेतु संपदा३ एकवचनांत आगार सं दार निमित संपदा। पदाध बहुवचनांत आगार संपदाए॥ अनुवगमो निमित्तं। हेक ग बहुवयंत आगारा॥ अग्नी स्पर्शनादीक बाझका कानुस्सग मर्यादानी संपदा सरुप रणागार संपदा। संपदा ए आठ संपदा ॥३॥ आगंतुग आगारा। उस्सग्गा विहि सरूव॥३॥ लोगस्स यादीने वीषे सं जेटलां पद ते समान अगवीस सोल पदातो। वीस अनुक्रमे। नामथयाश्सु संपया। पय सम अमवीस सोल वीस कमा एक वारना जण्या अक्षर ग बसेंने सोल एकसो अठाणु अक्षर लोग गतां अनुक्रमे बसे साठ। स्स पुरवरवरदी सिद्धाणंबुद्धाणंनाइए अदुरुत्त वन्न दुस। दुसय सोल नग्अ सयं ॥३॥ बे जावंती जयवियरायना अनुक्रमे सर्वना गुरु अक्षर सातत्र अक्षर एकसो बावन। ए३ चोवीस२४ तेत्रीस३३। पणिहाण दुवन्न सयं। कमेण सगरतिश्चन्वीसइतित्ती गणत्रीसएअठावीस। चोत्रीस३४ एकत्रीस३ - -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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