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________________ - - មិច द्वार३हवे जंबुद्धीपमा नरत द्वारध हवे पर्वतसंख्या वैताढ्य च्यार। श्राद्ये सात क्षेत्र द्वार ३। वाटला ने चोत्रीस३४ लांबा ॥ नरहाई सत्त वासा। वियढ चन्च नरतिस३४वहि यरे॥ [द्वार३ बे चीत्र। वीचीत्र? बे जमग१ स सोल१६ तो वखारा पर्वत । मग१ ॥११॥ सोलसर वकार गिरि। दो चित्तर विचित्तरदोजमगाश बसें २०० कंचनगीरी। चारध गजदंता पर्वत तीम [॥२२॥ सुमेरुपर्वत॥ दोसय२००कणय गिरीणं । चन्धगयदंताय तह सुमेरूयर बद क्षेत्रमर्यादा धारकपर्व एकेनुंणा सीतर बसेंने थाय २६ए त ते सर्व जेगा गणतां। ॥१॥ द्वार । व्वासहरा पिंमे। एगुण सत्तरि सयादुन्नि॥२॥द्वार | द्वारए हवे सीखरसंख्या सो च्यार च्यार सीखर होय प्रत्येके ॥ ल वखारा पर्वतने वीषे। सोलस वकारेसु। चन चन कुमाय हुंति पत्तेयं॥ सोमनस गंधमादन ए बे सात सात कुट डे ने बाउ बाठ रूपी गजदंता नपर। महाहिमवंत ए बे पर ॥१३॥ सोमणस गंधमायण। सत्त ध्यरूप्पि महाहिमवे॥१३॥ |चोत्रीस वैताढ्य पर्वतने विद्युत्प्रनगजदंतो नैषध नीलवंतने वीषे। वीषे॥ चन्तीस वियद्वेसु। विद्युप्पह निसढ़ निलवंतेसु॥ तीमज मालवंतगजदंतो मेरू नव नव कुट प्रत्येके प्रत्येके ले पर्वत एटला नपर। ॥१४॥ तह मालवंत सुरगिरि। नव नब कुमाई पत्तेयं ॥१०॥ - - -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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