________________
|तेत्रीस सागरोपमनी थीती। आयुकर्मनी डे ए रीते स्थीतीबंध नत्
कृष्टो कह्यो ॥ ५ ॥ तित्तीसं अयराइं। आन लिई बंध मुक्कोसा ॥५॥ हवे बार मुहुर्त वा चोवीस वेदनी कर्मनो आठ मुहुर्त्तनो नाम घमीनो झघन्य वा थोमो। कर्म गोत्र कर्मनो॥
बारस मुहुत्त जहन्ना। वेअणिए अनाम गोएसु॥ बीजा पांच कर्मनो झघन्य थी ए रीते घाती अघातीनी बंध स्थि ती बंध अंतर मुहुर्तनो । तीनुं प्रमाण कद्यं ॥ ५ ॥
सेसा पंतमुहत्तं। एयं बंधठिई माणं ॥५॥ इति बंधतत्व ॥ ७ ॥ नुत्तर नेद ।
ति बंधतत्व ॥७॥
हवे मोक्षतत्व नव नेदे कहेले जीवद्रव्यनुं प्रमाण वली क्षेत्रनुं बता पदनी परूपणा। मांन' फरसना ॥
संतं पय परूवणया। दव्व पमाणंश्च कित्त३फुसणा कालमांन? सिद्धनो अंतरर रहे नावमांनर थोमा घणानुं [या वानो नाग।
मान नीचे एवं नव ॥ ५॥ कालोयएअंतरंदनागो । नावअप्पाबहाण्चेवाणा बतापणे वे नीर्मल मोक्षपद वर्ततुं आकास फुलवत् नथी थ ते जगतमां।
तुं॥ संतं सुध पयत्ता। विशंतं ख कुसुमंव न असंतं॥ मोक्ष इति पद तेहतणी। परूपणा गति मार्गणादीके करीने
कहींइंडे ॥६॥ मुकत्ति पयं तस्स। परूवणा मग्गणाहिं ॥६॥
-