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हवे माया वांक वांसनी बाल्य बोकमार्नु सिंघ' नीवम वासना मु व्रषन मुत्रधारे पमेली। ल समान ॥ __ माया वलेहि गोमुत्ति। मिंढ सिंग घण वंसि मूल समा॥ हवे लोन रंग हलदर? गामा नगरनाकर्दमना कर्मजना रंग जेवो नी मलीर तेना। ‘ए सोल कषाय ॥२५॥
लोहो हलिह खंजण। कदम किमि राग सारिबो॥३॥ हवे जे कर्मना नदय होय जी हासी रति १ अरति ? शोग? नयर वने।
दुगंडा॥ जस्सुदया होइ जिए। हास र अरई सोग नय कुछ। ते इं नीमीत्तथी थाय वा अ थवा स्वनावे थाय अन्यथा ते। तेइहां हास्यादीक मोहनीय॥२६॥ स निमित्त मन्त्रहा वा। तंह हासाई मोहणि॥६॥
अनिलाष जे कर्मने वसे करीने होय पुरुषनो स्त्रिनो ते बेनो पण। ते अनुक्रमे ॥
पुरिसि बी तदुनयंप। अहिलासो जच्चसा हवइ सोन॥ |स्त्रिी पुरुष नपुंसकर वेद वीषय बकरीनी लीमीनो ताप तरणा
नो नदय जांणवो। नो ताप नगरनो दाह ते समान॥२॥ । थी नर नपुं वे न्दन। फुफुम तण नगर दाह समो॥॥
एकंद्री बेरंद्री तेरंद्री गर्दन नंट जेवी चाल र नपघात |चोरंद्रीर ए जाती चोक। होय पापथी ॥२॥
इंग बि ति चनजाइन। कुकग व्वघाय हुंति पावस्स॥ अमनोज्ञ वर्णर गंधर रस नही पेहेलुं संघयणए तथा संस्थान फर्स१ ए च्यार। बाकी दसे होय ॥२७॥
अपसब वनचक। अ पढम संघयण संगणा॥॥
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