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धर्मास्तीकाय अर्धास्तीकाय आकासास्तीकाय काल ए पांच पुद्गलास्तीकाय।
होय अजीवद्रव्य। धम्मा धम्मा पुग्गल। नह कालो पंच हुंति अजीवा॥ चालताने साझ देवानो स्वना थीर संतांण स्वनाव अधर्मास्ती व धर्मास्तीकायनो। कायनो॥ ए॥
चलण सहावो धम्मो। थीर संघणो अहम्मोत्रणा अवकाश आपवानो स्वना कोने पुद्गल जीव बनेने हवे पद्दल व आकासास्तीकायनो। च्यार नेदे ते केहे ॥
अवगाहो अागासं। पुग्गल जीवाण पुग्गला चव्हा॥ खंधर देश प्रदेश १ एत्रण परमाणु सर्वथा नांहांनो नश्चेि जाण तथा।
वा ए च्यार नेद ॥ १०॥ खंधा देस पएसा। परमाणुर चेव नायव्वा ॥१०॥ हवे कालनेद समय आवली रातने दिघस पन्नर अहोरत्री ते पक्ष बेघमी।
बे पक्षे मास बारमासे वर्ष ॥ समया वलि मुहुत्ता। दीहा पकाय मास वरीसाय॥ कह्यो पल्योपम काल साग दस दस कोमाकोमी सागरे म्हार रोपम काल।
पीणी अवसरपीणी काल ॥११॥ जणिन पलिया सागर। नसप्पिणी सप्पिणी कालो हवे पुद्गलनुलक्षण कहे शब्द प्रना चंद्रकांतादीनी बांयमो ता अंधकार नद्योत रत्नादिकनो। प सुर्यादीकनो॥
सहं धयार नकोय। पना गया तवेश्या॥ वर्ण कमादी गंध सुर्नियादि ए पुद्गल, नीचे लक्षण जाणवू रस तीखादी फर्स शीतादी। ॥१२॥
वन्न गंध रस फास। पुग्गलाणं तु लकणं ॥१२॥
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