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________________ - - - २५६ मुका तिरिकाय समं विनत्ता। मृतक तथा नीरधन ए बेने तुल्य विचारवा ॥१५॥ मुत्रा दरिदाय समं विनत्ता॥१॥ समस्त कला थकी धर्म आराधवानी कला जीते। सव्वाकला धम्मकला जिणाई। समस्त कथा थकी धरमअर्थे कथा जीते ॥ सव्वा कहा धम्म कहा जिणाई॥ समस्त बलथकी धरमनु बल जीते। सव्वंबलं धम्मबलं जिणाई। समस्त जे संसारीक सुखथी धर्म सुख जीते ॥१६॥ सव्वंसुहं धम्मसुहं जिणा ॥१६॥ जवटु रम्यामां जे आसक्त डे तेहने लक्ष्मीनो नास थाय । जूए पसत्तस्स धस्स नासो। मांसनक्षमा जे यासक्त ने तेहने दयाबुधीनो नास थाय ॥ ____ मंसं पसत्तस्स दया नासो॥ मदीरा पीवामां जे आसक्त ले तेहनो जस नास थाय ॥ मऊं पसत्तस्स जसरस नासो। वेस्याजोगमा जे आसक्त ले तेहना कुलनो नास थाय ॥१७॥ वेसा पसत्तस्स कुलस्स नासो॥१७॥ जीवनी हिंसामा जे आसक्त ले तेहनो नलो धर्म नाश थाय। हिंसा पसत्तस्स सुधम्मनासो । चोरी करवामां जे आसक्त ले तेहना शरीरनो नाश थाय ॥
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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