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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री ब्रह्मचर्य व्रत पूजा. ४१ शिथिलाचार थयो हुं स्वामी, वामी मुनि गुण वाम ॥ प्रबल प्रमाद दशाने पामी, हारी गयो:र्छ हाम, हे अरिहंत हे महंत ॥ साधन कंइ न सधाय, हे अरिहंत हे महंत ॥ जीवित एले जाय, हे अरिहंत हे महंत ॥ साहिब० प्रेमे० ॥१॥ पुद्गल परिणतिमां हुं पडियो, जडियो कर्म जंजीर ॥ शनिष्ठुर विषय कषाये नडियो, व्हारे आवो ध्वीर, हे अरिहंत हे महंत ॥ अडवाडियां आधार, हे अरिहंत हे महंत ॥ करुणा रस ५कासार, हे अरिहंत हे महंत ॥साहिब०॥ प्रेमे०॥ पतित उद्धारक पामर पालक, टालक मोह तोफान ॥२॥ बापलिया हुंछ तुम बालक, भद्रंकर भगवान, हे अरिहंत हे महंत ॥ जिन माणक जयकार, हे अरिहंत हे महंत ॥ आपो शील उदार, हे अरिहंत हे महंत ॥ साहिब करजो सहाय० ॥ प्रेमे प्रणमुं पाय० ॥३॥ ॥ इति षष्ठाक्षत पूजा संपूर्णा ॥ 028822022 0008000 १ सुंदर. २ बेडी. ३ कठोर. ४ शक्तिमान् ५ सरोवर. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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