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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री ब्रह्मचर्य व्रत पूजा. २९ ॥ मंत्रः ॥ ओ ही श्री परमपूरुषाय, परमेश्वराय, जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, निर्मल ब्रह्मचर्य दायकाय, श्रीमते जिनेंद्राय, कुसुमानि यजामहे स्वाहा ॥ ॥अथ गीतं ॥राग रेखता ॥ ताल कवाली अहो अरिहंत उपगारी, सपर्या ताहरी सारी॥ तुरत जे संसृति तारी, बतावे मोक्षनी पारी ॥ अहो ॥१॥ महा भाग्ये तुमे मलिया, मनोरथ सर्व अब फलिया । त्रिविध संतापदूर टलिया, दिवस मुज आजथी बलिया ॥अहो॥२॥ दशा दश कामनी कापी, समाधि स्थान दश आपी ॥ सूरि माणिक्यने तारो, अरज ए उर अवधारो ॥ अहो अरिहंत उपगारी० ॥३॥ ॥ इति तृतीय कुसुम पूजा संपूर्णा ॥ ॥ अथ चतुर्थ धूप पूजा प्रारंभ ।। ॥ दोहा । धर्म चक्री धर्मेशने, धरीये धूप सुगंध ।। हरिये ३रत दुर्गधने, परिये शील सुगंध ॥ १॥ टाली अढार अब्रह्मने, पाली पावन ब्रह्म । गाली आठे कर्मने, लहीये अचिल "ब्रह्म ॥२॥ ॥ ढाल ताल मराठी लावणी ॥ अरिहा आगल धूप उखेवी, दुष्ट अब्रह्म दूषण दहिये १ पूजा. २ संसार. ३ मैथुन ४ ब्रह्मचर्य. ५ मोक्ष. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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