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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री ब्रह्मचर्य व्रत पूजा ॥ अथ प्रथम जलपूजा प्रारंभः॥ ॥दोहो॥ मैथुन मलने टालवा, वरवा ब्रह्म विशुद्ध ॥ न्हवरावो निर्मल जले, ब्रह्मचारि जिन बुद्ध ॥१॥ ॥ ढाल ॥ ताल दादरो ॥ कर्मतणा संजोगयी, निर्माण थयेलं थाय रे ।। शाने दोष दइये बीजाने। ए देशी॥ पूजो प्रेमे प्राणिया, परमातम केरा पायरे ॥ छंडो दूर मैथुन संज्ञाने ।। ए आंकणी ।। मैथुन मोह्या मानवी, वाह्या त्रिवेद विकार ॥ भटके भीम भवाटवी, आपद लहे अपरंपाररे ।। छंडो दूर मैथुन संज्ञाने ॥ पूजो० ॥१॥ ॥साखी ॥ संजम तपने शीलनु, मैथुन विघ्न महंत ॥ दर्शन चारित्र मोहनो, हेतु कहे अरिहंत ॥२॥ २कमनीय रूप कांति कला, श्रुत शरीर शक्ति सिमवाय ।। नाशे निधुवन सेवा, वली ५सुकृत सकल क्षय जायरे ॥ छंडो दूर मैथुन संज्ञाने ॥ पूजो० ॥३॥ ॥शाखी ॥ ६चरण करण जीवित हरण, प्रबल प्रमादर्नु मूल ।। आपे आधि व्याधिने, धर्म करे सहु धूल ॥ ४ ॥ .. १ ब्रह्मचर्य. २ सुंदर. ३. समूह. ४ मैथुन. ५ पुण्य. ६ चरण सित्तरी तथा करण सित्तरी. ' For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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