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श्री खात्रपूजा.
॥ गीति ॥ मेरु शिखर श्मघवाली॥ जन्म समय जिम जिनवर स्नान करे ॥ निर्मल जल कलशाली॥ भरि तिम न्हवण करो भवि हर्ष भरे॥ ४ ॥
__ (एम कहीने न्हावण करी, संक्षेपे पूजिये. पछी मात्रकारकना हाथ धूप चंदने वासी, कुसुमांजलि आपी, प्रभुनी जमणीदिशे पाटला उपर उभो राखोये.) ॥ नमोर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुभ्यः ॥
॥ कुसुमांजलि ॥ ढाल ॥ विमल सुगंध जले नबरावो, विमल श्वसन ४वर अंग धरावो ॥ कुसुमांजलि म्हेलो आदिजिणंदा, तोरा चरण कमल सेवे चोसठ इदा ॥ कुसुमांजलि म्हेलो आदिजिणंदा ॥५॥
(गाथा) ॥ आर्या ॥ गंधा इड्डिय महुयर,मणहर झंकार सद्दसंगीया ॥ जिन चलणोवरि मुक्का, हरउ तुह्म कुसुमांजलि दुरियं ॥६॥
(एम कहीने कुसुमांजलि चढावबी.) १ इंद्रश्रेणि. २ कलशश्रेणि. ३ वस्त्र. ४ सुंदर.
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