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गणी, पंचामृतनो कलश लेइ उभा रहे. पछी शुभलग्ने जिन जनम्या त्यांथी मांडीने संपूर्ण पूजा भणवी. पछी प्रतिमाजी उपर कलश नामबो. पछी परवाल करी, अंगलूहणुं करी, केशर चंदन पुष्प प्रमुख प्रभुने पूजिये ।। ॥ ईति स्नात्रपूजाविधिः संपूर्णः ॥
- - [॥ आ पूजामां आवेल प्रथम काव्यनो भावार्थः ।।
कामने छेदनार, करुणानो अवतार, संसारनो पार पामेल, जैश्वर्ययुक्त, मापविनानी संपदाने आपनार तथा कल्याण करनार, जगमा एक सारभूत एवा जिनेश्वरोना समूहने हुं वंदन करूं छु.॥ ॥ कुसुमांजली चढावती वरखते कहेवामां आवती आर्या
गाथानो भावार्थः ॥ सुगंधयुक्त अने भमरओना मनोहर झंकार शब्दवाली एबी जिनेश्वरना चरणो पर चढावेली कुसुमांजली तमारा पापोपद्रवने हो।॥ १॥]
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