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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०२ श्री वास्तुक पूजा ॥ अथ चतुर्थ पूजा प्रारंभः ॥ दोहो॥ जाणी अवधि ज्ञानथी, सोहम पति सुर संग ॥ जन्मोत्सव करवा हवे, आवे धरी उछरंग ॥१॥ ॥हाल || राग केरबो॥ ॥ उभो रहेने गोवालीया, तारी वांसली मीठी वाय ॥ ए देशी ।। आवे आवे जंभारी, जिनवर मंदिर धरी उल्लास ॥ए आंकणी। मातने वंदी भाखे ३मघवा, पुण्यवती तुज धन्य । रत्न कूख धारिणी ततो, जायो पुत्र रतन ॥ आवे आवे १ सोहम नामे सुरपति हुँ छु, भय नव धरशो मात ॥ तुज नंदननो जन्म महोत्सव, करीश आज ५अवदात आवे० २ एम कही देइ ६अवस्वापिनी, प्रतिबिंब प्रकी पास ॥ पंच रूप करी लावे प्रभुने, मेरु शिखर पर खास ||आवे० ३ जिनने खोलामां लई जुगते, आसन बेसे इंद ॥ तेसठ सुरपति मलिया तव त्यां, आणी मन आनंद ॥आवे० ४ कलशादिक सवो स्नात्र पूजानी, सामग्री श्रीकार ॥ जिनमाणक जन्मोत्सव कारण, करता सुर तैयार ॥ आवे आवे, जंभारी जिनवर मंदिर धरी उल्लास ॥५॥ १ इंद्र. २ इंद्र. ३ इंद्र. ४ इंद्र ५ सुंदर-उज्वल. ६ ए. नामनी निद्रा. ७ कलश विगेरे सर्व उपगरण, For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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