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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०. दीप जलाओ मन-मन्दिर में एक कहता है, लेकिन कुछ करता नहीं। जबकि दूसरा जैसा कहता है वैसा आचरण करने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता है। इसमें कहनेवाला और तदनुसार आचरण करनेवाला उत्तम है। - श्रीमद् बुद्धिसागरमूरिजी सुरत दिनांक : ५-२-१९१२ यदि अन्यजनों को ग्व-विचाग्वाले बनाने हों तो सर्वप्रथम हमें मुविचारों के अनुसार आचरण करना चाहिए। मानव खुद जिस आचार व विचारों में जितना दृढ संकल्पशील होता है, उतने ही प्रमाण में वह अन्य लोगों को प्रभावित करने में शक्तिमान होता है। जो मानव कथनी व करनी में एक होता है, दूसरों पर उसकी वाणी का असर भली-भाँति होता है; लोग उसके शब्द को टाल नहीं सकते। दूसरों के साथ जिन सद्गुणों के सम्बन्ध में चर्चा-विचारणा करनी हों, सर्वप्रथम उन्हें प्राप्त करने का हमें प्रयत्न करना चाहिए। कारण अमुक सद्गुणधारी मनुष्य बिना कुछ कहे (बोले) ही दूसरों को प्रभावित कर सकता है। जगत् में कथनी के बजाय करनी निम्मंदेह उत्तम तथ्य है। आचार-विचार में उच्चावस्था प्राप्त व्यक्ति के सान्निध्य में जाते ही लोगों के विचार में पर्याप्त मात्रा में परिवर्तन आ जाता है। वैसे ही उत्तम योगियों की शरण ग्रहण करने पर इस तत्त्व का बखूबी अनुभव होता है। एक कहता है, लेकिन कुछ करता नहीं। जबकि दूसग जैसा कहता है वैसा आचरण करने के लिए प्रयत्नशील रहता है। उसमें कहनेवाला व तदनुसार आचरण करनेवाला उत्तम है। संभव है कि हम जिनागम के अनुसार कदाचित आचरण न कर सकें तो इसे एक प्रकार का हमारा प्रमाद ही समझना चाहिए। किंतु उत्सूत्र का उच्चारण कर दुर्गति में जाने जैया कदापि नहीं करना चाहिए और जिनागमों के कथनानुसार चलने For Private and Personal Use Only
SR No.020549
Book TitlePath Ke Fool
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagarsuri, Ranjan Parmar
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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