SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९. सत्यं-शिंव सुन्दरम् यदि विश्व को सर्वोत्तम व सर्वांग सुन्दर बनाना हो तो सर्वत्र सुविचारों का प्रचारप्रसार करना चाहिए। -श्रीमद बुद्धिसागरसूरिजी सुरत दिनांक : ४-२-१९१२ यदि विश्व को सर्वोत्तम एवम् सत्यम्...शिवम्...सुंदरम् बनाना हो तो सुभाषित-सुविचारों का सर्वत्र प्रचार-प्रसार करना चाहिए ।मुविचारों का प्रवाह मेघ की भाँति जब निखिल जगत् में जहाँ-तहाँ जोर-शोर से प्रवाहित हो जाएगा वहाँवहाँ सदाचार रूपी अंकुर अवश्य प्रकट होंगे। वैसे सदाचार का पूग आधार सुविचारों पर ही है। दुनिया की वास्तविक उन्नति करने वाली एकमेव शक्ति सुविचार हैं। ऐसा एक प्रकृत्ति-प्रदत्त नियम है कि सृष्टि में जहाँ कहीं हिंसा, झूट, अचौर्य आदि आचार दृष्टिगोचर होते हैं वहाँ पहले कुविचारों का बोलबाला होना चाहिए। सुविचारों के बल पर मानव उत्तमोत्तम कार्य संपन्न करने में शक्तिमान सिद्ध होता है। यदि सदाचार में यकायक प्रवेश न भी हो तो हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। बल्कि साहस से काम लेना चाहिए और निरंतर सुविचारों का प्रवाह गतिमान करने के प्रयत्न करते रहना चाहिए। फलतः सुविचारों की भावना का बल एकत्रित होते ही सदाचार अपनेआप काया तथा इंद्रियों के द्वारा प्रकट होता है। __ मन को अनावश्यक कुत्सित विचारों के गहरे गर्त से बाहर निकाल, सदैव सुविचारों का चिंतन करते रहना चाहिए। जिस तरह समुद्र में एक लहर दूसरी लहर को उत्पन्न करने में समर्थ होती है ठीक उसी तरह मन में जिस जोर के साथ एक सुविचार प्रकट होता है उसी शक्ति से अन्य सुविचार को जन्म देने में समर्थ होता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020549
Book TitlePath Ke Fool
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagarsuri, Ranjan Parmar
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy