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प्रकाशकीय
अष्टोत्तर-शत-ग्रन्थ प्रणेता योगनिष्ठ आचार्य देवेश श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म.सा. द्वारा आलेखित महाकाय ग्रन्थ 'कर्मयोग' का हिन्दी संस्करण प्रकाशित करने के पश्चात् आचार्य श्री के ही चिंतन-संग्रह-रूप में प्रकाशित 'पाथेय' (गुजराती पुस्तक) का हिन्दी संस्करण पथ के फूल शीर्षकतहत पुस्तक प्रकाशित करते हुए हमें परम प्रसन्नता हो रही हैं ।
आचार्य श्रीने सिर्फ २५ वर्ष के संयमी जीवन में १०८ से भी अधिक ग्रंथो का निर्माण कर एक कर्मठ कर्मयोगी का परिचय दिया है ।।
__आचार्यश्री का कर्म-क्षेत्र प्रायः गुजरात एव बम्बई रहने से आप द्वारा निर्मित ग्रंथों की भाषाभी संस्कृत एवं गुजगती ही रही है। श्री अरुएोद फाउन्डेशन इस दिशा में गतिशील है, कि आचार्य श्री के साहित्यका प्रकाशन हिन्दी भाषा में हों ।
श्री अरुणोदय फाउन्डेशन के, आत्मकल्याणकर, सात्विक्ता-पोषक सुंदर पुस्तक प्रकाशनो के ध्येय को साकारता प्रदान की हैं, पूज्य वात्सल्यवारीधि, प्रखर वक्ता आचार्य श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के मंगल आशीर्वाद एवं ज्योतिर्विद्ग गणविर्य श्री अरुणोदयसागरजी म.सा.की सत्प्रेरणाने प्रस्तुत ‘पथ के फूल' पुस्तकप्रकाशन का संपूर्ण लाभ लेने में भाग्यशाळी बने है- 'के.पी. संघवी रीलीजियस ट्रस्ट' के श्रीमान् बाबुलालजी संघवी एवं परिवार । तदर्थ वे धन्यवाद के पात्र हैं । हम आशान्वित हे कि भविष्य में भी इसी प्रकार हमारी संस्था को सहयोग देते हुए सम्यगज्ञान के प्रचार-प्रसार में सहभागी बनेंगें ।
प्रसिद्ध भाषांतरकार श्री रंजनजी परमार भी धन्यवाद के पात्र है, जिन्होंने अल्पावधि में हिन्दी भाषांतर हमे प्रेषित किया है ।
श्री जवाहरचंद्रजी पटनी (P.H.D.) के भी हम विशेष आभारी है । आपने प्रतिफूल स्वास्थ्य में भी संपूर्ण भाषांतर को परिमार्जित किया है
श्री अरविन्दभाई पटेल, एकोर्ड कंप्यूटर के श्री बिनीतभाई एवं पार्थ कम्पयटर्म के श्री अजयभाई का सहयोगभी सराहनीय रहा, जिन्होंने संपूर्ण पुस्तक को बेहतरीन रूपसे सज्जा-संजोकर हमारा उत्साह बढाया.
अंत में, जिनाज्ञासापेक्ष ईआचार्य श्रीमद् बुद्धिसागर सूरीश्वरजी म.सा. के आशय विरुद्ध कुछ भी क्षति/त्रटी रह गई हो तो त्रिविधे-त्रिविधे मिच्छामि दुक्कडम्।
श्री अरुणोदय फाउन्डेशन
कोबा
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