________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(७)
मति दी। इसके शिवाय पं. मक्खनलालजी शास्त्री, पं. तनसुखलालजी काला, पं. उल्फतरायजी रोहतकवाले, पं. विद्यानंदि शास्त्री, तथा पं. लालारामजी शास्त्री आदि अन्य कितने ही विद्वानोंको दिखाकर आगमोक्त आर्षग्रंथोंसे प्रमाणित आचार्यप्रणीत यह पुस्तक प्रकाशित कराकर आप लोगोंके सामने भेट कर रहा हूं। आशा है आप भव्यजन अपनी आत्माको पवित्र करनेके लिये प्रतिदिन इस अभिषेक पाठका उपयोग करेंगे तथा धर्मका उपार्जन करेंगे, ऐसी मेरी भावना है। । यद्यपि भरसक इसका संशोधन कराया जा चुका है, तथापि संभव है इसमें अनेक त्रुटियां रह गई हों, इसलिये प्रार्थना है कि विद्वान् लोग इसको सुधार कर पढ़ें, त्रुटियोंके लिये हमें क्षमा करें तथा उन त्रुटियोंसे हमें सूचित करें, जिससे हम द्वितीयावृत्तीमें संशोधन कर सके। ___इस समय पंचामृताभिषेककी प्रथा शिथिलसी हो रही है, वह फिरसे जागृत हो और आगमोक्त धर्मका प्रचार हो, इसीलिये हमने यह पुस्तक प्रकाशित की है। हमारा तथा हमारी धर्मपत्नी ( मोहनबाई चांदमल गडिया ) का रविवारव्रत पूर्ण हुआ था तथा भादों सुदी नौमी रविवार वीर सं. २४८१ के दिन उसका उद्यापन किया था। उसीके उपलक्ष्यमें ये एक हजार प्रतियां प्रकाशित कर वितरण की हैं । इसलिये धर्मप्रेमी भाइयोंको इस ग्रंथका लाभ अवश्य लेना चाहिये । यही हमारी अंतिम कामना है। वीरसम्बत् विक्रमसम्बत् ॥
आपका२४८४ २०१४ ) चांदमल जोधकरण गडिया
For Private and Personal Use Only