________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 14 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * नभिळ्यशेमहि देवहितँय्यदायुः // 8 // शतमिन्नु शरदो ऽअन्ति देवा यत्रा में नश्चक्रा जरसन्तनूनाम् / पुत्रासो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रोरिषताऽयुर्गन्तोः // 1 // अदितिौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्रः। विश्वे देवा ऽअदितिः पञ्च जना ऽअदितिर्जातमदितिजनित्वम् // 10 // * द्यौः शान्तिरन्तरिक्ष शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः। बनस्पतयः शान्तिविश्वे देवाः शान्तिब्रह्म शान्तिः सर्वर शान्तिः शान्तिरेव / ॐ शान्तिः सा मा शान्तिरेधि // 11 // यतोयतः समीहसे ततो नो ऽअभ यङकुरु / शन्नः कुरु प्रजाभ्योऽभयन्नः पशुभ्यः // 12 // गणानां ला गणपतिर हवामहे प्रियाणां वा प्रियपतिर हवामहे निधोनां वा निधिपति AMO119CWASTR-19 For Private and Personal Use Only