________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजनप्रयोगः * तत्रैव देवता श्रावाहयेत् / कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः।। मूले तस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः // 1 // कुनौ तु सागराः सप्त सप्तद्वीपाच मेदिनी / अर्जुनी गौतमी चैव चन्द्रभोगा सरस्वती // 2 // काबेरी कृष्णावेणी च गङ्गा चैव महानदी / तापी गोदावरी चैव माहेन्द्री नर्मदा तथा // 3 // नदाश्च विविधा जाता नद्यः सर्वास्तथा पराः। पृथिव्यां यानि तीर्थानि कलशस्थानि तानि वै // सर्वे समुद्राः सरितस्तीर्थानि जलदा नदाः // 4 // ऋग्वेदोऽथ यजुर्वेदः सामवेदो ह्यथर्वणः // 5 // श्रङ्गश्च सहिताः सर्वे कलशं तु समाश्रिताः / शान्तिः पुष्टिश्च सावित्री गायत्री कलशे स्थिता // 6 // श्रायान्तु मम शन्त्यर्थ For Private and Personal Use Only