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| लामो सो राजा की आज्ञा से कैएक बानरों को लाए राजा ने उनको बहुत प्रीतसो राखे और नृत्य MS करणा सिखाया और उनके सुफेद दांत दाडिमके फूलों सों रंग रंग तमाशा देखे और उनके मुखमें
सोने के तार लगाय लगाय कौतूहल करे वे आपस में परस्पर जूं काढ़े तिनके तमाशे देखे और वे आपस में स्नेह कर वा कलह करें तिनके तमाशे देखे राजा ने ते कपि पुरुषों को रक्षा निमित्त साँप और मीठे मीठे भोजन से उनको पोखे उन बानरों को साथ लेकर किहकुं पर्वत पर चढ़े राजा काचित्त सुन्दर वृक्ष सुन्दर वेलि पानीके नीझरनों से हरा गया तहां पर्वतके ऊपर विषमतारहित विस्तीर्ण भूमि देखी वहां किहकुं नामा नगर बसाया जिसमें वैरियोंका मन भी न प्रवेशकर सके चौदह योजन लंबा और चौदह योजन चौड़ा और जो परिक्रमा करिये तो बियालीस योजन कछ इक अधिक होय जाके मणियों के कोट रत्नों के दरवाजे वा रत्नों के महल रत्नों को कोट इतना ऊंचा है कि अपने शिखर से मानों भाकाश से ही लग रहा है और दरवाजे ऊंचे मणियों से ऐसे शोभे हैं मानों यह अपनी ज्योति से श्रीभूत हो रहे हैं घरों की देहली पनरागमणिकी है सो अत्यन्त लाल हैं मानों यह नगरी नारी स्वरूप है सो तांबूल कर अपने घर ( होंठ) लालकर रही है और दरवाजे मो तियों की माला कर युक्त हैं सो मानों समस्त लोक की सम्पदाको हंसे हैं और महलों के शिखरों पर चन्द्रकांत मणि लग रहा है जिससे रात्रि में ऐसा भासे हैं मानों अन्धेरी रात्रि में चन्द्र उग रहा है और नाना प्रकार के रत्नों की प्रभा की पंक्ति से मानों ऊंच तोरण चढ़ रहे हैं वहां घरोंकी पंक्ति विद्याधरों की बनाई हुई बहुत शोभे हैं घरों के चौक मणियों के हैं और नगर के राज मार्ग बाजार
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