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पद्म केसरी आय प्राप्तभया लोकों के मनकी वृति सोई भई गुफा उन में पैठा महेंद्रनामा उद्यान नंदनवन । गण समान सदाही सुन्दरहै सो बसंत समय अति सुन्दर होताभया नानाप्रकारके पुष्पोंकीपाखुडी और नाना
प्रकारकी कूपल दक्षिणदिशि की पवनकर हालती भई सोमानों उन्मत्तभई घुमे है और वापिका कमलादिक कर आछादित और पक्षियों के समूहनाद करे हैं और लोक सिवाणोंपर तथा तीरपर बैठे हैं और हंस सारस चकवाकौंच मनोहर शब्दकरे हैं और कारंड बोल रहे हैं इत्यादि मनोहर पक्षियोंके मनोहर शब्दरागी पुरुषोंको राग उपजा हैं पी जलविषे पडे हैं और उठे हैं तिनकर निर्मलजल कल ल रूपहाय रहा है जलतो कमलादिक कर भग है और स्थल जो हैं सोस्थलपद्मार्दिक पुष्पोंकर भरे हैं और श्राकाश पुष्पोंकी मकरन्दकर मंडित होय रहाहै गुलोंके गुच्छे और लता वृक्ष अनेकप्रकारके फूल रहे हैं बनस्पति की परमशोभा होयरही है उससमय सीता कछु गर्भके भारकर दुर्बलशरीर भई तब राम पूछते भये हे कांते तेरे जो अभिलाषा होय सो पूर्ण करूं तब सीता कहती भई हेनाथ अनेक चैत्यालयों के दर्शन करवेकी मेरे बांछा है भगवानकं प्रतिबिंब पाचोंवर्ग के लोक विषे मंगलरूप तिनको नमस्कारकरवेको। मेरा मनोरथ है स्वर्ण रत्नमई पुष्पोंकर जिनेंद्र को पूजं यह मेरे महाश्रद्धा है और क्या बांडूं ये वचन । सुनकरराम हर्षित भये फूलगया है मुखकमल जिनका राजलोक में विराजते थे सो द्वारपाली को बुलाय श्राज्ञाकरी कि हेभद्रे मंत्रियों को भाज्ञा पहुंचावो कि समस्त चैत्यालयों में प्रभावना करें और महेंद्रोदयनाम उद्यानमें जे चैत्यालय, तिनकी शोभा कगवें और सर्व लोकको आज्ञापहुंचावो किजिन । मंदिरोमें पूजा प्रभावनाबादि अति उत्सवकरें औरतोरणध्वजा घंटा झालरी चंदोवा सायवान महामनोहर
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