________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir
पद्म पुराण NE
किन्नरपुर मेघकूट मर्त्य गीत चक्रपुर स्थनपुर बहुरव श्रीमलय श्रीगृह अरिञ्जय भास्करप्रभ ज्योतिपुर । चन्द्रपुर गंधार, मलय सिंहपुर श्रीविजयपुर भद्रपुर यक्षपुर तिलक स्थानक इत्यादि बड़े बड़े. नगर सो सब लक्ष्मण ने वशमें किए सब पृथिवी को जीत, सप्त रत्न कर सहित लक्ष्मण नारायण के पद का भोक्ता होता भया, सप्तरत्नों के नाम चक्र शंख धनुष शक्ति गदा खड्ग कोस्तुभ मणि और राम के चार हल मुशल रत्नमाला गदा इसभांति दोनों भाई अभेद भाव पृथिवी का राज्य करें, तब श्रेणिक गौतम स्वामी को पूछता भया हे भगवान तुम्हारे प्रसाद से में राम लक्ष्मण का महात्म विधिपूर्वक सुना अब लवर्ण अंकुश की उत्पति और लक्षमण के पुत्रों का वर्णन सुनाचाहं हं सोश्राप कही। तब गौम गणघर कहते भए हे राजन मैं कहूं हूं सुन राम लक्षमण जगत् में प्रधान पुरुष निःकंकट राज्य भीगते भए तिन के दिन पक्ष मास वर्ष महा सुखसे व्यतीतहोंय जिनके बड़ेः कुलकी उपजी देवांगना समानस्त्रीलक्ष्मण के सोलहहजार तिनमें आठ पटराणी कीर्ति समान लक्ष्मी समान रति समान गुणवती शीलवती अनेक कला में निपुण महा सौम्य सुन्दराकार तिनके नाम प्रथम पटराणी राजा द्रोणमेघकी पुत्री विशिल्या दूजी रूपवती जिस समान और रूपवान नहीं तीजी वनमाला चौथी कल्याणमाला पांचमीरतिमाला छठी जितपद्मा जिसने अपने मुम्न की शोभाकर कमल जीते सातमी भगवती पाठमी मनोरमा और रामके राणी आठहजार देवांगना समान तिनमें चार पटराणी जगत् में प्रसिद्ध कीर्ति जिन में प्रथम जानकी दूजी प्रभावती तीजी रतिप्रभा चौथी श्रीदामा इन सबों के मध्य सीता सुन्दर लक्षण ऐसी सोहे ज्यों तारावों में चन्द्रकला और लक्षमण के पुत्र अढाईसे तिनमें कैयकोंके नाम कहूं हूं सो सुन वृषभधरण चन्द्र
For Private and Personal Use Only