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1990
पद्म | जिन चैत्यालय में बड़ी पूजा कराई पीछे अनन्त संसारके भमणसे भयभीत होकर अपने बड़े पुत्र अमररक्ष पुराण को राजदेय और लघु पुत्र भानुरक्ष को युवराज पद देय आप परिग्रह को त्याग कर तत्व ज्ञानमें मग्न
भये पाषाण के थंभ तुल्य निश्चल होय ध्यान में तिष्ठे और लोभ कर रहित भये खान पान का त्याग कर शत्रु मित्र में समान बुद्धिधार निश्चल चित्तकर मौनव्रतकेधारक समाधि मरणकर स्वर्गविषे उत्तम देवभये
अथानन्तर किन्नरनादनामा नगरीमें श्रीधर नामा विद्याधर राजा उसके विद्यानामा राणी उसके अरिजयानामा कन्या सो अमररक्ष ने परणी और गन्धर्व गीत नगरमें सुर सन्निभ राजा उसके राणी गंधारी की पुत्री गंधर्वा सो भानुरक्षने परणी बडे भाई अमररक्षके दशपुत्र और देवांगना समान छेहपुत्री भई जिनके आभूषण गुणही हैं और लघु भाई भानुरक्षके भी दश पुत्र और छैपुत्रीभई सो उन पुत्रोंने अपने अपने नामसे नगर बसाये वे पुत्र शत्रुओंके जीतनेहारे पृथिवा के रक्षक हैं उन नगरों के नाम सुनो सन्ध्याकार १ सुदेव २ मनोहुलाद ३ मनोहर ४ हंसदीप ५ हरि ६ जोध ७ समुद्र ८ कांचन ६ अर्धस्वर्ग १० ए दशनगर तो अमररक्षके पुत्रों ने बसाये और पावर्त नगर १ विघट २ अंभोद ३ उतकट ४ स्फुट ५ रतुग्रह ६ तष ७ तोय ८ अावली : रत्नदीप १० यह दशनगर भानुरक्षके पुत्रने बसाए कैसे हैं उन नगर में नाना प्रकारके रत्नों से उद्योत होरहा है सुवर्णकी भीति तिमसे दैदीप्यमान वे नगर क्रीडा के अर्थी राक्षसोंके निवास होते भये बड़े २ विद्याधर देशांतरोंके बासी वहां प्राय महा उत्साहकर निवास करते भये
अथानन्तर पुत्रों को राज देय अमररच भानुरतं यह दोनों भाई मुनि होय महा तप कर मीच पदको प्राध भए, इस भांति राजा मेघवाहन के वंशमें बड़े २ राजा भए वे न्यायवन्त प्रजा पालन
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