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पद्म
119031
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कुम्भकरण के बणों से हनूमान जरजरे भए छत्रउड़गये ध्वजाउड़गई घनुषटूटा वक्तर टूटा रावण के पुत्रइन्द्रजीत वाहन लगरहे हैं अबवे आयकरसुग्रीव भामण्डल कोलेजांयेगे सोवे न लेजावें उस पहिले प्राप उन को लेवें वे दोनों चेष्टारहित हैं सो मैं उनके लेवनेको जाऊं हूं और आप भामण्डल सुग्रीव की सेना निर्नाथ हो गई है सो उसे थांभो इस भान्ति विभीषण राम लक्षमण से कहे है उस ही समय सुग्रीव का पुत्र अंगद छानेाने कुंभकर्ण पर गया औरउसका उत्तरासनवस्त्र परे किया सो लज्जाके भारकर व्याकुल भया
कोयां तौलग हनूमान इसकी भुजाफांस से निकस गया जैसे नवा पकडापत्ती पिजरे से निकसजाय हनूमान नवीन जन्मको घरे और अंगद दोनों एक विमान बैठे ऐसे शोभते भए मानों देवही है और अंगदका भाई अंग और चन्द्रोदयका पुत्र विराधित इनसहितलक्ष्मण सुग्रीव की और भामंडल सेना को वैर्य बंधाय jedar और विभीषण इन्द्रजीत मेघवाहनपर गया सो विभीषण को आवता देखइन्द्रजीतमनमें विचारता भया जो न्यायविचारिए तो हमारे पितामें और इसमें क्या भेद है इसलिए इसके सन्मुख लडना उचित नहीं सो इसके सन्मुख खडान रहना यही योग्य है और ये दोनों भामंडल सुग्रीव नागपाश में बंधे सो निःसन्देह मृत्यु को प्राप्त भए और काकासे भाजिए तो दोषनहीं ऐसा विचार दोनों भाई महा अभिमानी न्याय के वेक्ता विभीषण से टरिगए और विभीषणा त्रिशूल का है आयुध जिसके रथ से उतर सुग्रीव भामंडल के समीप गया सो दोनों को नागपाश से मुर्छित देख खेद खिन्न होता भयातब लक्ष्मण ने राम से कही हे नाथ दोनों विद्याधरों के अधिपति महासेनाके स्वामी महा शक्ति के धनी भामंडल सुग्रीव रावण के पुत्रों ने शक्ति रहित कीए मूर्च्छित होय पडे हैं सो इन वगैर आप रावण को कैसे जीतेंगे तब राम को
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