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पर वितापी को गदासे मारा वहुत कष्टसे इस भांति योधावों ने युद्ध में अनेक योधा हते सो बहुत बेर तक,
युद्धभया राजा सुग्रीव अपनी सेनाका राक्षसोंकी सेना से खेद खिन्न देख आप महा क्रोधका भरा युद्ध करनेको उद्यमी भया तब अंजनीका पुत्र हनूमान हाथियों के स्थपर चढ़ा राक्षसोंसे युद्ध करताभयो सोराक्षसों के सामन्तों के समूह पवन पुत्रको देखकर जैसे नाहरको देख गायडरे तैसे डरतेभए और राक्षस परस्पर वात करतेभए कि यह हनमान वानरधज आया सोअाज घनोंकी स्त्रियोंको विधवा करेगा तब इसके सन्मुख माली प्राया उसे पाया देख हनूमान धनुषमें वाण तान सन्मुखभए तिनमें महायुद्धभया मन्त्री मन्त्रियोंसे लड़नेलगेस्थी रथियों से लड़नेलगे घोड़ों के असवार घोड़ोंके असवारोंसे लड़तेभए हाथियों के असवार हाथियोंके असवारोंसे लड़ते भए सो हनूमानकी शक्तिसे माली परांगमुखमया तब बनोदरमहा पराक्रमीहनूमानपर दौड़ा युद्ध करताभया चिरकाल युद्धभय सो हनूमानने वडोदरको स्थ रहित कियातव वह और दूजे स्थपर चढ हनूमानपर दौड़ा तब हनूमानने फिर उसको रथ रहितकिया तब फिर पवनसे भी अधिकहै वेग जिसका ऐसे स्थपर चद हनूमानपर दौड़ा तब हनूमानने उसे हता सो प्राणरहित भया तब हनूमानके सन्मुख महा बलवान रावणका पुत्र जम्बूमाली याया सो प्रावताही हनुमान की ध्वजा छेद करताभया तब हनुमानने क्रोधसे जम्बूमालीका वक्तरभेदा धनुष तोड़ डारा जैसे तृणको तोड़े तब मंदोदरी का पुत्र नवां वक्तर पहिर हनुमोनके वक्षस्थल में तीक्षण वाणोंसे घाव करता भया सोहनमान नै ऐसा जाना मानों नवीन कमलकी नालिका का स्परा भया केसाहे हनमान पर्वत समान निश्चल है बद्धि जिसकी फिर हनूमानने चन्द्रवक नामा बाण चलाया सो जम्बूमाली के रथके अनेक सिंह जते थे सो
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